Navratri 2024 का आगमन 09 April से 17 April तक है इस बार की नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर समस्त प्रकृति को हरियाली युक्त और सुखमय होने का आशीर्वाद देंगी।
जगत जननी जगदम्बा के स्वरूपों की उपासना नवरात्रि के अलग अलग 9 दिनों में की जाती है जानिए कौन से दिन में किन देवियों की पूजा की जाती है और प्रसाद, पुष्प, और कौन से रंग के कपड़े पहनकर माता का वंदन करना चाहिए।
"नवरात्रि" में देवी दुर्गा के नौ रूप
नवरात्रि के नौ दिन सनातन धर्म में बहुत ही आध्यात्मिक माने जाते हैं इन 9 दिवस माता नवदुर्गा के सारे रूपों की पूजा की जाती है नवरात्रि का जिक्र पौराणिक काल से लेकर इतिहास में मिलता है रामायण काल में श्रीराम ने नवरात्रि उपासना कर दशवें दिन यानी दशहरा के रोज रावण का वध किया था और देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था आज हम इस लेख में पढ़ेंगे माता के 9 रूप उनके बीज मंत्र और पूजा का विधि विधान इत्यादि
पहला दिन माता का "शैलपुत्री" रूप (09 April 2024)
'माता शैलपुत्री का स्वरूप' - माता शैलपुत्री की सवारी "नंदी" बैल हैं जगत जननी का पहला स्वरूप माता "शैलपुत्री" है माता के दाहिने हाथ पर त्रिशूल और कमल के पुष्प को बाएं हाथ पर धारण की हैं।
पौराणिक मान्यता है कि देवी सती पार्वती के रूप में दोबारा धरती पर जन्म लेने वाली थी, उनका जन्म हिमालय राज के यहां हुआ था.हिमालय का अर्थ होता है शैल, इस वजह से इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
पार्वती ही आगे चलकर भगवान शिव की पत्नी हुई. माता शैलपुत्री को भोग के रूप में "गाय का घी" चढ़ाना चाहिए जिससे की आरोग्य की प्राप्ति हो सके।
भोग - गाय का घी
वस्त्र रंग-पीले रंग के वस्त्र धारण कर पूजा अर्चना करें।
पुष्प - माता को गुड़हल का पुष्प अर्पण करना चाहिए।
नवरात्रि का दूसरा दिन माता "ब्रह्मचारिणी" रूप (10 April 2024)
'ब्राम्हचारिणी माता का स्वरूप' - माता ब्रह्मचारिणी स्वेत वस्त्र धारण करती हैं उनके मुखमंडल और आभा अत्यंत दैवीय है समस्त ब्रम्हांड का तेज उनपर निखर रहा है उनका मुखमंडल अत्यंत प्रकाशमय और प्रेम स्वरूप है माता दाहिने हाथ में जपने वाली माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिमालय राज की पुत्री माता शैलपुत्री अपना वर महादेव के रूप में चुनने के लिए तपस्विनी रूप धारण करती हैं तभी इनका यह रूप ब्रह्मचारिणी माता कहलाया।
भोग - शक्कर का भोग लगाने से लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।
वस्त्र रंग - हरे रंग के वस्त्र धारण कर माता की पूजा आराधना करना चाहिए।
पुष्प - माता को गुलदाऊदी का पुष्प अर्पण करना चाहिए।
नवरात्रि का तीसरा दिन माता का "चंद्रघटा" स्वरूप (11 April 2024)
'चंद्रघटा माता का स्वरूप' - नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघटा स्वरूप की पूजा की जाती है माता के कपार पर अर्ध चंद्र विराजमान है इसलिए इन्हे चंद्रघटा देवी कहते हैं
माता के दस हस्त माने गए हैं माता खड़ग धारण करती हैं. माता चंद्रघटा की पूजा से धन वैभव और ऐश्वर्य की अपार लाभ, प्राप्ति होती है।
भोग - माता रानी को दूध का भोग या उससे बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए.
वस्त्र रंग - मातारानी की अर्चना भूरे रंग के वस्त्र धारण कर करनी चाहिए.
पुष्प - माता को कमल का पुष्प अर्पित करना चाहिए।
नवरात्रि का चौथा दिन माता का "कुष्मांडा" स्वरूप (12 April 2024)
'कुष्मांडा माता का स्वरूप'–नवरात्रि के चतुर्थ दिन माता कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है माना जाता है कि इस ब्रम्हांड की रचना माता द्वारा की गई थी इन्हे आदिशक्ति भी कहा जाता है.
माता शेर पर सवार होती हैं माता की आठ भुजाएं हैं और सभी भुजाओं में चक्र,खड़ग, गदा, कमंडल इत्यादि धारण की हुई हैं. माता की पूजा करने से शौर्य की प्राप्ति होती है.
भोग - मातारानी को मालपुवा का भोग लगाना चाहिए और जरूरतमंद को इस भोग को दान करना चाहिए।
वस्त्र रंग - मातारानी की पूजा नारंगी रंग के वस्त्र धारण कर करना चाहिए।
पुष्प - माता को चमेली के पुष्प अर्पण करना चाहिए।
नवरात्रि का पाँचवां दिन "स्कंदमाता" को समर्पित है (13 April 2024)
'स्कंदमाता का स्वरूप' माता की चार भुजाएँ हैं शेर पर सवार हैं एक हाथ मे पुत्र कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है. चूंकि 6 मुख वाले कार्तिकेय का एक नाम 'स्कन्द' भी है और भगवान कार्तिकेय की माता होने के नाते इन्हें स्कंदमाता कहा गया.
इनकी पूजा या आराधना करने से कैरियर में बढ़ोत्तरी, बौद्धिक विकास की प्राप्ति होती है.
भोग - स्कन्दमाता को केले का भोग बेहद प्रिय है.
वस्त्र रंग - इनकी पूजा सफेद रंग के वस्त्र धारण कर करनी चाहिए.
पुष्प - स्कंदमाता को पीले पुष्प अर्पण करने चाहिए।
नवरात्रि का छठवाँ दिन माता का "कात्यायनी" स्वरुप (14 April 2024)
"कात्यायनी स्वरूप" माता का जन्म माह ऋषी कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में हुआ इसीलिए इन्हें कात्यायनी कहा गया.
माता के इस स्वरूप की पूजा नवरात्रि के छठवें दिन होती है इनकी पूजा करने से धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष के साथ साथ सुंदरता और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा इनकी पूजा से नकारात्मक ऊर्जा का छरण होता है, माता की सवारी सिंह है।
भोग - माता कात्यायनी को शहद का भोग अत्यंत प्रिय है.
वस्त्र रंग - माता की पूज लाल रंग के वस्त्र धारण कर करना चाहिए.
पुष्प - माता को गेंदे के फूल अत्यंत प्रिय है अतः उन्हें गेंदा अर्पित करना चाहिए।
नवरात्रि का सातवां दिन माता का "कालरात्रि" स्वरूप (15 April 2024)
माता के 'कालरात्रि स्वरूप' की पूजा नवरात्रि के सप्तम दिन होती है माता कालरात्रि की पूजा से पारिवारिक कलह से मुक्ति,शुख शांति, रोग मुक्ति और उत्तम स्वास्थ्य में लाभ मिलता है.
माता अत्यंत अंधकार की मुद्रा में हैं उनके तीन नेत्र हैं और चार हस्त हैं एक हाथ अभयमुद्रा वहीं सुसरा वरमुद्रा तीसरे में खड्ग है चौथे हस्त में उनके लोहे का अस्त्र है. माता कालरात्रि को राक्षसों या असुरों का संहारक बताया गया है।
भोग - माता को गुड़ का भोग लगाना चाहिए.
वस्त्र रंग - माता की पूजा नीले रंग के वस्त्र पहनकर करना चाहिए।
पुष्प - माता को कृष्ण या श्याम कमल अर्पित करना चाहिए।
नवरात्रि का आठवां दिन माता का "महागौरी"स्वरूप (16 April 2024)
माँ गौरी का स्वरूप स्वेत है उन्होंने स्वेत रंग के वस्त्र धर्म किये हैं आभूषण भी सफेद हैं सफेद रंग के बैल पर सवार हैं माता महागौरी के चार हस्त हैं एक हस्त में त्रिशूल है.
माता महागौरी की आराधना से समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है।
भोग - माता को नारियल का भोग लगाना चाहिए.
वस्त्र रंग - माता की गुलाबी रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए.
पुष्प - माता को चमेली,बेला के पुष्प अर्पित करने चाहिए।
नवरात्रि का नौवाँ दिन माता का "सिद्धिदात्री" स्वरूप (17 April 2024)
"सिद्धिदात्री माता का स्वरूप" चार हस्त हैं गदा,चक्र,पुष्प से सुसज्जित हैं माता सिंह पर सवार हैं माता सभी सिद्धियों को देने वाली हैं.
पौराणिक ग्रंथों में आठ सिद्धियों की बात की गई है इन आठ सिद्धियों की प्राप्ति माता सिद्धिदात्री के वंदन से प्राप्त की जा सकती हैं।
माता की पूजा करने से मनुष्य को शुख शांति की प्राप्ति होती है।
भोग - माता को खीर पूड़ी, तिल, हलवा का भोग लगा सकते हैं
वस्त्र रंग - माता की पूजा जमुनी रंग के वस्त्र पहनकर करनी चाहिए।
पुष्प - माता को चम्पा के पुष्पों का अर्पण करना चाहिए।
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अंतिम शब्द।
नवरात्रि का त्योहार हम बहुत ही श्रद्धा से मनाते हैं ऐसे में यह जानना भी जरूरी है की किस दिन कौन सा रूप एवं कौन सा भोग चढ़ाया जाता है हर दिन देवी माता के नए रूप का आगमन होता है और उन्ही रूपों के अनुसार पूजा अर्चना हमें विधि - विधान से करना चाहिए।