09 April से 17 April तक चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. सनातन धर्म में दुर्गा के नौ स्वरूपों को सर्वोपरि माना गया है इन नौ स्वरूपों के नौ दिन उपासना की जाती है.
मां भगवती के नौ स्वरूप माने जाते हैं नवरात्रि का पर्व साल में दो बार आता है एक बार चैत्र की नवरात्रि और दूसरी अश्विन माह की नवरात्रि कहलाती है।
नवरात्रि का इतिहास, नवरात्रि क्यों मनाया जाता है
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था.महिषासुर एक असुर था जिसने ब्रह्म देव की तपस्या कर अत्यंत बलशाली होने का वरदान प्राप्त किया.वरदान पाकर वह अत्यंत अतातायी हो गया.
त्रिदेवों से लेकर अन्य देवताओं तक आधिपत्य की कामना करने लगा था तब त्रिदेवों ने मिलकर आदिशक्ति का आवाहन किया। कहते हैं महादेव और भगवान नारायण व समस्त देवताओं के मुख से एक क्रोध अग्नि प्रकट हुई और वही अग्नि ने नारी स्वरूप लेकर मां जगदम्बा कहलायीं, सारे देवताओं ने उन्हें अस्त्र शस्त्र प्रदान किए. माता दुर्गा का यह रूप महिषासुर से 9 दिनों तक युद्ध करता रहा और इस बीच सारे देवताओं ने 9 दिन तक माता की आराधना की.माता दुर्गा ने 10 वें दिन महिषासुर का वध कर दिया तब से नवरात्रि पर्व की शुरुवात हुई।
नवरात्रि मनाने के पीछे की एक मान्यता भगवान राम से भी जुड़ी है
ऐसी मान्यता है कि रावण से विजय पाने के लिए और माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाने के लिए भगवान श्रीराम ने देवी दुर्गा की 9 दिनों तक आराधना की और आशीर्वाद स्वरूप माता दुर्गा ने 10 वें दिन उन्हे विजय का आशीर्वाद दिया।
नवरात्रि में होने वाली परमपराएं
नवरात्रि में लोग अपने घरों में जागरण और पूजा भजन रखते हैं जगह जगह प्रतिमाएं स्थापित की जाती है अब तो सिनेमा का स्तर बहुत बढ़ गया.आज से बीते कुछ साल पहले तक गांव से लेकर नुक्कड़ चौराहों तक भव्य रामलीला का आयोजन किया जाता था अभी भी यह परम्परा है किंतु अबकी हाईटेक और डिजिटल युग ने उन सबका मजा फीका कर दिया है.लोग नवरात्रि में माता के शक्तिपीठों के दर्शन करते हैं श्रृद्धालु गणों की भारी भीड़ नवरात्रि में बढ़ जाती है।
माँ जगदम्बा के 9 स्वरूप - 9 Roop of Maa Durga
नवदुर्गा के 9 स्वरूप
- शैलपुत्री(हिमालय राज की पुत्री)
- ब्राम्हचारिणी(माता पार्वती का तपस्विनी रूप)
- चंद्रघटा(अर्धचंद्र का माता के माथे पर विराजमान होना)
- कुष्मांडा(ब्रम्हांड की उत्पत्ति माता कुष्मांडा के गर्भ से हुई है)
- स्कंदमाता(कुमार कार्तिकेय की माता)
- कात्यायनी(ऋषि कात्यायन की पुत्री)
- कालरात्रि(बुरी शक्तियों का विनाश करने वाली)
- महागौरी(उपासक को सर्वश्रेष्ठ वरदान देने वाली माता)
- सिद्धिदात्री(सभी प्रकार की सिद्धि देने वाली माता)
इन नव देवियों की उपासना क्रम के अनुसार दिनों में होती है सभी देवियों की उपासना की अलग-अलग विधियां है सब देवियों के अलग अलग भोग हैं।
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इस बार की नवरात्रि क्यों है खास
काशी के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार की नवरात्रि में सूर्य देव बुध और शुक्र एक ही घर में पधारे हुए हैं इसका अर्थ यह अत्यंत शुभता वाली घड़ी है और शनि की छाया का भी योग है जिससे सत्य बोलने वाला व्यक्ति राज करने के शुभ संकेत हैं यह पूरे 30 साल बाद हो रहा है इसलिए आप सभी भक्तजन मन लगाकर माता की सेवा कीजिए, शुभ फल प्राप्त होंगे।