धनतेरस क्यों मनाया जाता है? धनतेरस का पौराणिक महत्त्व (Importance of Dhanteras)

दीपावली के पञ्च दिवसीय उत्सव का शुभारंभ धनत्रयोदशी या धनतेरस से होता है इस दिन को स्वास्थ्य लाभ और धन वृद्धि के लिए शुभ माना गया है देश के अलग अलग हिस्सों में यह त्योहार विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।Dhanteras हिन्दू धर्म का महत्त्वपूर्ण त्योहार माना जाता है, कहते हैं इस दिन धन की वृष्टि होती है अर्थात कुछ विशिष्ट वस्तुएं खरीदने पर धन देवता यानी 'धनवंतरि' देवता प्रसन्न होते हैं और आपको तेरह गुना धन की बढ़ोत्तरी होती है।

Dhanteras Festival with Mythological Story

प्रायः लोग इस त्योहार के दिन कई सारे आभूषण,बर्तन इत्यादि खरीदकर इसकी शुभता को बढ़ाते हैं। इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि Dhanteras क्यों मनाया जाता है? Dhanteras का पौराणिक महत्त्व और इतिहास, Dhanteras के बारे में सम्पूर्ण जानकारी में प्रकाश डालेंगे।

धनतेरस त्योहार क्यों मनाया जाता है? Dhanteras का पौराणिक महत्त्व क्या है?

Mythological Stories Behind Celebrating Dhanteras

धनतेरस एक पौराणिक पर्व है और इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई पौराणिक कहानियां हैं और आप सब पाठकों को यह कहानियां खुद तो जाननी ही चाहिए साथ ही आने वाली पीढ़ियों को भी सुनाना चाहिए क्योंकि यह हमारा इतिहास है और इसी से सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा मिलता है।

समुद्र मंथन और भगवान धन्वंतरि की कहानी

श्रीमदभागवत कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन की प्रक्रिया को संचालित किया, उस प्रक्रिया के बाद अनेकों उपहार प्राप्त हुए उन्हीं उपहारों में से एक महत्त्वपूर्ण उपहार था "अमृत". समुद्र मंथन के दौरान भगवान 'धन्वंतरि' अमृत कलश लिए प्रकट हुए, भगवान धन्वंतरि धन और स्वास्थ्य लाभ के प्रतीक और भगवान नारायण के 12वें अवतार माने जाते हैं। जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वह दिन था "कार्तिक माह की त्रयोदशी" इसी दिन को प्रतीक रूप में धनतेरस का त्योहार मनाया जाने लगा। धनतेरस को 'धनत्रयोदशी' भी कहा जाता है।

राजा हिमा और उनके पुत्र की कहानी

पौराणिक कहानियों में राजा हिमा की कथा धनतेरस के पीछे की महत्ता को और गहरा करती है हिमालय क्षेत्र में किसी काल खंड में एक राजा थे जिनका नाम था हिमा, हिमा को एक पुत्र था जो उनके राज्य का भावी युवराज था।पुत्र के जन्म के समय ही राज पंडितों और ज्योतिषियों ने राजा को कुंडली दोष के बारे में जानकारी दी थी कि जैसे ही राजा हिमा अपने पुत्र का विवाह करेंगे उनके बेटे की मौत चौथे दिन सर्प के डसने से हो जाएगी इस बात से राजा भयभीत थे।

समय बीता और राजा हिमा ने एक ऐसी कन्या का पुत्रवधू बनाने का चुनाव किया जो गुणवान और धार्मिक थी।विवाह सम्पन्न हुआ तब पुत्र वधू ने शादी के चौथे दिन घर के द्वार पर ढेर सारा सोना, हीरा जवाहरात और दीपक जला दिया और जब यमराज सर्प बनकर उसके पति को डसने आए तो वह खजाना और दीपक के तेज की चकाचौंध में खो गए परिणाम स्वरूप राजा हिमा के पुत्र का जीवन बच गया। और जिस दिन यह घटना घटित हुई वह कार्तिक माह की त्रयोदशी यानि धनतेरस थी।

उसी दीपक को 'यमदीपदान' कहा जाता है जिससे आयु बढ़ाने का आशीर्वाद मिलता है और इस दिन यमराज की भी पूजा होती है और कीमती वस्तु खरीदकर यह पर्व मनाया जाता है।

भगवान बामन और राजा बलि की कहानी

पौराणिक ग्रंथों में राजा बलि पाताल लोक के राजा माने जाते हैं राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी उन्हें इन्द्र की उपाधि मिली थी, कहते हैं कि जब सम्पूर्ण त्रैलोक्य अधिपत्य राजा बलि के हाथ में था और स्वर्ग लोक से लेकर अन्य लोकों तक उनका साम्राज्य बढ़ता जा रहा था ऐसे में इन्द्र समेत सारे देवता भयभीत होकर भगवान जगतपिता नारायण के पास विनती लेकर पहुंचे कि यदि ऐसा रहा तो उनके रहने के लिए कोई स्थान ही नहीं बचेगा हर जगह सिर्फ राजा बलि का ही आधिपत्य होगा।

राजा बलि हिरण्य कश्यप पुत्र प्रहलाद के नाती थे वह अपनी दानवीरता के लिए जाने जाते थे तब भगवान विष्णु ने वामन रूप बनाकर गए और भिक्षा स्वरूप तीन पग भूमि मांगी तब राजा बलि संकल्प करने के लिए कमंडल उठाकर हाथ में जल डालने लगे लेकिन असुर गुरु शुक्राचार्य ने जल के रास्ते में बैठकर रास्ता रोक लिया तब बागवान बामन ने एक तिनका उठाकर उस जलहरी में डालकर असुर गुरु की आंख फोड़ दी यह सब धनतेरस के दिन घटित हुआ था ऐसा माना जाता है कि तब से राजा बलि को भगवान ने पाताल लोक सौंप दिया।

Dhanteras में किसकी पूजा की जाती है

हमारे देश भारत में भगवान धन्वंतरि को देवताओं के वैद्य के रूप में जाना जाता है, इसीलिए भारत सरकार ने इस दिन को "राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस" मनाने की घोषणा कर चुकी है। कहते हैं स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नही होता है इसीलिए भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है,माता लक्ष्मी भी इसी दिन समुद्र मंथन से धरती लोग में आगमित हुई थी यही कारण है कि धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। माता लक्ष्मी धन और शुभता की प्रतीक हैं और भगवान धन्वंतरि स्वास्थ्य लाभ के प्रतीक हैं दोनो की पूजा करने से पारिवारिक दोष और जीवन सुखमय होता है।

भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है जो बुद्धि विवेक और रिद्धि सिद्धि के देवता हैं इनकी पूजा से जीवन के सारे विघ्न और कार्य सफल होते हैं और जीवन में शुभता हर समृद्धि आती है। धन के देवता कुबेर भगवान की पूजा की जाती है ऐसी मान्यता है कि आर्थिक स्थिरता और उन्नति प्राप्ति में यह सहायक हैं।

इस दिन यमराज की पूजा करने से लंबी आयु प्राप्त होती है इसलिए धनतेरस के रोज दीपदान किया जाता है। नए बर्तन और आभूषणों की पूजा करने से सुख शांति और समृद्धि मिलती है धनतेरस में अनेकों देवी देवताओं की पूजा करने का प्रचलन है जो शुभता, स्वास्थ्य बुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं

जैन मनाते हैं "धन्य तेरस" या ध्यान तेरस

हिन्दुओं के अलावा इस दिन का महत्त्व जैन धर्म में भी बहुत ज्यादा है जैन मतों के अनुसार इस दिन महावीर स्वामी तृतीय और चतुर्थ ध्यान की मुद्रा में चले जाते हैं और दीपावली के दिन महापरिनिर्वाण की प्राप्ति करते हैं तब से जैनों के लिए बहुत ही खास दिन के रूप में धनतेरस माना जाता है।

जैनों से 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने कार्तिक मास की तेरस को अपना अंतिम प्रवचन दिया था और उसके अगले दिवस ही वह मोक्ष को प्राप्त हुए थे तब से जैन समुदाय उनके ज्ञान के रूप में इस दिन दीपक जलाते हैं इस त्यौहार का महत्त्व भौतिक समृद्धि से ज्यादा आध्यात्मिक है।

इस दिन खरीदारी की है मान्यता

वैसे तो इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है लेकिन इस दिन अनेक मान्यताएं हैं जैसे कि दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर भगवान यमराज की आराधना करने से मृत्यु दोष दूर होते हैं। इस दिन माना जाता है कि बर्तन या कोई भी धात्विक वस्तु खरीदने से धन में वृद्धि होती है,इस दिन बाजार सजे होते हैं और भारत वर्ष में खूब खरीदारी होती है।ऐसी मान्यता है कि इस दिन धन के रूप में चांदी के बर्तन या वस्तु खरीदने से धन में तेरह गुना की वृद्धि होती है।

यह कुछ वस्तुएं हैं जिन्हें आप धनतेरस के दिन खरीद सकते हैं।

  • सोने या चांदी के आभूषण
  • सोने या चांदी के सिक्के
  • नए बर्तन (चांदी, स्टील, तांबा) 
  • धनिया के बीज (धन) 
  • अवधि (सुगंधित धूप)
  • मिट्टी के दीपक 
  • सुख-समृद्धि के लिए टोकरी (काला तिल, चीनी, आदि)
  • बर्तन धोने का नया कपड़ा
  • घर में सजाने के लिए फूलदान या सजावटी वस्तुएं।

2024 में धनतेरस की तारीख और मुहूर्त 

हिन्दू धर्म के वैदिक पंचांग के अनुसार 2024 में धनतेरस 29 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होकर 30 अक्टूबर की दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।

लेकिन अगर इसकी शुभता की बात करें तो 30 अक्टूबर को उदया तिथि है और यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है इसलिए धनतेरस 30 अक्टूबर मंगलवार को मनाई जाएगी सुबह से लेकर दोपहर के बीच देवी लक्ष्मी, कुबेर और धनवंतरी भगवान की पूजा अर्चना कर सकते हैं और इसी बीच नए बर्तन या आभूषण खरीदना उत्तम माना जाएगा।

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आखिरी शब्द

धनतेरस स्वास्थ्य लाभ और धन वृद्धि का त्योहार है ऐसा माना जाता है कि दीपावली की शुरुवात इसी दिन से हो जाती है, भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी पारिवारिक जीवन में समृद्धि देते हैं अतः मान्यताओं के अनुसार भारत वर्ष में अलग अलग प्रथाएं हैं लेकिन सबका मूल स्वास्थ्य और समृद्धि है।

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Amit Mishra

By Amit Mishra

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