Mahatma Gandhi भारत के राष्ट्रपिता और विश्वभर के आंदोलनकर्ता उन्हें अपना मार्गदर्शक मानते हैं किसी के व्यक्तित्व की महानता की थाह लेनी हो तो इसका अंदाजा उनके अनुयायियों से और उनको आदर्श मानने वाले लोगों के व्यक्तित्व से लगाया जा सकता है।
महात्मा गाँधी न केवल भारत की स्वतंत्रता के कर्णधार थे अपितु वह सम्पूर्ण विश्व के महामानव हैं उनके फॉलोवर या यूँ कहें जो उन्हें इंस्पिरेशन मानते हैं उनके नाम हैं Nelson Mandela, Barack Obama, Martin Luther King jr, Dalai Lama, Albert Einstein जैसे लोग गाँधी को किसी न किसी रूप में अपना मार्गदर्शक मानते हैं ऐसे कई सारे अन्य नाम हैं नामों की फेहरिस्त लंबी है।आइये जानते है बापू के जीवन यात्रा वृतांत के बारे में।
Mahatma Gandhi Parents, Family Background and Biography
महात्मा गाँधी का जन्म 2 October 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर में हुआ था,उनका जन्म वैश्य (पंसारी जाति) परिवार में हुआ था।
Name | मोहनदास करमचंद गांधी |
Nationality | Indian |
Religion | Hindu |
Date of Birth | 02 October, 1869 |
Birth place | पोरबंदर क्षेत्र (गुजरात) |
Father's Name | करमचंद गांधी |
Mother's Name | पुतलीबाई |
Education | Barrister |
Death | 30 January, 1948 |
महात्मा के पिता का नाम Karamchand Gandhi था और माता का नाम Putlibai था। महात्मा गाँधी के पिता करमचन्द गाँधी अंग्रेजी हुकूमत में काठियावाड़ रियासत में दीवान थे।
उनकी माता पुतलीबाई वैश्य समाज से तालुक रखती थी। करमचंद गांधी की तीन पुतलीबाई के फल तीन पत्नियां प्रसव के दौरान मर गईं थी, पुतलीबाई उनकी चौथी पत्नी थी। महात्मा गांधी का पूरा नाम "मोहनदास करमचंद गांधी" है।
गंधीजी “सत्यवादी हरिश्चन्द्र” नाटक से थे प्रेरित
गाँधी जी ने पिता द्वारा लायी गयी पुस्तक पढ़ी जिससे वह बहुत ही प्रभावित और द्रवित हो उठे, वह किताब श्रवण कुमार के बारे में थी जिन्होंने अपने अंधे माता पिता को कांवड़ यात्रा अपने कंधे पर बैठाकर करवाई थी। इसके बाद सत्य अहिँसा का पाठ उन्होंने बचपन मे देखे हुए नाटक से सीखा उस नाटक में उन्होंने देखा कि राजा हरिश्चंद्र के इर्द गिर्द इतनी विपत्तियां थी फिर भी वह कभी झुके नही सत्य का साथ नही छोड़ा। उस रात वह नाटक देखने के बाद बापू रात भर सो नही पाए और बार बार यही सोचते कि पूरी दुनिया सत्य की राह पर क्यों नही चलती। बचपन मे देखा हुआ नाटक इतना गहरा छाप छोड़ गया कि उस सत्य की सीख से 'मोहनदास' से 'महात्मा' बन गए।
महात्मा गाँधी का हुआ था बाल-विवाह (Mahatma Gandhi Marriage)
महात्मा गांधी की शादी मात्र 13 साल की उम्र में 'कस्तूरबा' से हुआ था,कस्तूरबा महात्मा गांधी से 1 साल उम्र में बड़ी थी। उस दौर में बाल विवाह का प्रचलन आम बात थी। 1885 में महात्मा गांधी की उम्र जब 15 साल की थी तब उनकी पत्नी कस्तूरबा से पहली संतान हुई लेकिन वह संतान अधिक दिन तक जीवित नही रही। कस्तूरबा का प्रचलित नाम "बा" था। सन 1885 में ही गांधी के पिता करमचंद गांधी का स्वर्गवास हो गया।
Mahatma Gandhi Children's
महात्मा गांधी और कस्तूरबा की चार संताने हुई जो कि इत्तेफाक से पुत्र ही थे उन पुत्रो के नाम इस प्रकार हैं
- Heeralal Gandhi(1888)
- Manilal Gandhi(1892)
- Ramdas Gandhi(1897)
- Devdas Gandhi(1900)
Mahatma Gandhi Education
महात्मा गांधी की शुरुवाती शिक्षा पोरबंदर गुजरात से ही हुई, उन्होंने मिडिल और हाईस्कूल की पढ़ाई अपने गृह ग्राम से की। पढ़ाई में महात्मा बहुत ही साधारण छात्र थे। हाई स्कूल के बाद आगे की मैट्रिक की पढ़ाई भावनगर के शामल दस कॉलेज से पूरी की। उनका परिवार उन्हे बैरिस्टर बनाना चाहता था लेकिन शुरुवात में गांधी का मन बैरिस्टर बनने का बिलकुल नही था।
महात्मा गांधी इंग्लैंड पढ़ने गए
19 साल की उम्र के पड़ाव में वह लंदन के लिए रवाना हुए। लंदन में उनका दाखिला University College London में हुआ जहां उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई आरंभ की।
लंदन जाते समय उनकी माता को एक जैन भिक्षु द्वारा प्रवचन दिया गया था यह प्रवचन मांसाहार और शराब के खिलाफ था जिससे गांधी अत्यंत प्रभावित हुए हालांकि बाद में उन्होंने अपनी बौद्धिकता से शाकाहारी भोजन को अपना भोजन माना और 'शाकाहारी समाज' से जुड़ गए इसी दौरान इस समाज में उनकी मुलाकात कई ऐसे लोगो से हुई जो थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी थे।
Mahatma Gandhi जब बैरिस्टर छोड़ बनने चले शिक्षक
महात्मा गांधी भारत लौटकर बंबई में वकालत शुरू की लेकिन ज्यादा रुचि न होने की वजह से इस काम में शुरुवाती दिनों में असफल ही रहे।
वकालत की असफलता के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए हाईस्कूल तक के संस्थान में शिक्षण का कार्य करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया लेकिन उनका चयन नहीं हुआ।
बाद में वह लोगों के लिए कोर्ट पर देने वाली अर्जियां राजकोट पर बैठकर ही लिखने लग गए। बाद में उन्होंने एक वर्ष के करार पर दक्षिण अफ्रीका में वकालत करने गए उस समय दक्षिण अफ्रीका ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकृत था।
दक्षिण अफ्रीका में नागरिकों के अधिकारों की लड़ाई
दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने एक लंबी लड़ाई लड़ी और अंग्रेजी सम्राज्य से कई सवाल भारतीयों के हित मे उठाये, हालांकि पूरी लड़ाई का अहम हिस्सा भारतीयों का सम्मान था, यह लड़ाई भेदभाव के खिलाफ थी। दक्षिण अफ्रीका में यात्रा के दौरान बाहर फेंक दिया गया था गाँधी को अफ्रीका में कई यातनाओं के साथ मार भी झेलनी पड़ी।
भारतीय होने की वजह से प्रथम कोच की टिकट होने के बावजूद उन्हें तीसरे श्रेणी कोच में जबरदस्ती भेजा जा रहा था विरोध करने पर ट्रेन से नीचे उतारने की धमकी दी गयी बाकी यात्रा के लिए वह कोच के पायदान वाले हिस्से पर बैठे थे कि तभी अंग्रेज यात्री के आने पर उन्हें पीटा गया, वहाँ के कई होटल में उनकी एंट्री बैन कर दी गयी, अदालत में उन्हें पगड़ी उतारने के लिए कहा गया. यही कारण था कि गांधी ने डटकर सामाजिक अन्याय के खिलाफ मुहिम छेड़ दी।
महात्मा गाँधी के द्वारा चलाए गए स्वतन्त्रता आन्दोलन
Mahatma Gandhi भारत 1915 में वापस आए और आकर वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े और अपने अनेक विचार कांग्रेस के मंच से कहे।
छुआछूत,सामाजिक समानता, शोषित वर्ग, किसानो और मजदूरों के प्रमुख मुद्दे शुरुवाती दौर में थे लेकिन अंग्रेजी सत्ता के अत्यचार को देखते हुए सबसे पहला चम्पारन में लड़ाई लड़ी, उसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन तक गांधी लड़ते रहे.उनके कुछ मुख्य आंदोलन हैं-
- चम्पारन सत्याग्रह(1917)
- खेड़ा सत्याग्रह(1918)
- असहयोग आंदोलन(1920)
- दांडी मार्च-नमक सत्याग्रह(1930)
- दलित आंदोलन(1932)
- भारत छोड़ो आंदोलन(1942)
गाँधी की हत्या
गाँधी जी की हत्या का षड्यंत्र कई बार रचा गया लेकिन हत्यारे मारने में असफल हो जाते थे लगभग 5 बार असफल होने के बाद 6वीं बार नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी।
30 january 1948 को रोज की तरह बिरला भवन से शाम को 5 बजे प्रार्थना के लिए निकले सामने गोडसे ने पैर छूने के बहाने से उन पर 3 गोलियां दाग दी इस तरह भारत वर्ष का सबसे बड़ा पेड़ मुरझा गया, उनकी हत्या के बाद 8 लोगों को हत्या का आरोपी बनाया गया उनमे एक नाम सावरकर का भी था।
ये भी पढ़ें,
- महात्मा गाँधी के मुख्य आंदोलन - Mahatma Gandhi's Movement
- जानिए क्या कहते हैं विश्व के दिग्गज लोग Mahatma Gandhi के बारे में - Thoughts of World Famous People About Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी के सिद्धांत
महात्मा सैद्धांतिक रूप से वृहद कद वाले व्यक्ति थे.शायद उनके सिद्धांत ही थे जो महात्मा को महात्मा बनाते हैं उनके सिद्धांतो के महत्वपूर्ण अंग हैं
- सत्य
- अहिंसा
- शांति
- उपवास
- शाकाहार
- ब्रम्हचर्य
- सादगीपूर्ण जीवन
Mahatma Gandhi Books, Magazines (महात्मा गाँधी की किताबें)
बापू द्वारा संपादित की हुई कुछ पत्रिकाएं
- हरिजन
- इंडियन ओपिनियन
- यंग इण्डिया
- नवजीवन
बापू द्वारा लिखी गयी पुस्तकें हैं
- हिन्द स्वराज
- दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
- सत्य के प्रयोग(आत्मकथा)
- गीता माता
अन्तिम शब्द
हर वर्ष 2 अक्टूबर उनके जन्मदिन को 'गाँधी जयंती' के रूप में मनाते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2007 में यह घोषणा की थी कि गाँधी के जयंती वाले दिन को 'अंतरराष्ट्रीय अहिँसा दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।
गाँधी सचमुच महात्मा ही थे आज भारत को कई बार गर्व का अनुभव होता है जब वैश्विक मंचों से बोला जाता है कि स्वागत करिए गाँधी के देश भारत से आए हुए मेहमान का. गाँधी के विचार ऐसे ही बढ़ते रहे, गाँधी कभी मरते नही हमेशा अमर रहते हैं।