आज दुनिया का हर देश अपने सर्वांगीण विकास के लिए दूरदर्शी निर्णय और अपने स्वयं के बनाए गए नियमों और अधिनियमों से प्रतिबद्ध है। किसी भी देश की तरक्की का पैमाना वहां कि व्यवस्था से है कई जगह जनता द्वारा सरकार चुनी जाती है जहां पर जनता ही सर्वोच्च होती है ऐसी व्यवस्था को "लोकतंत्र" कहते हैं।
कई देशों में राजशाही व्यवस्था है जहां पर राजा को उच्च दर्जा प्राप्त होगा और उस मुल्क की सत्ता का केंद्रीकरण उस राजा के पास होगा। यह तो बात हुई किसी देश की व्यवस्था पर लेकिन हर देश को चलाने के लिए एक रूल बुक होती है उसे सरल भाषा में संविधान कहते हैं, संविधान क्या है? भारतीय संविधान सभा तथा संविधान का निर्माण किस तरीके और स्थिति में हुआ है इस पर विस्तार से समझते हैं।
संविधान क्या है (What is Constitution)
सरल भाषा में कहा जाए तो संविधान नियमों,कानूनों तथा उपनियमों का एक ऐसा लिखित अभिलेख है जिसके अनुसार देश की व्यवस्थाओं (सरकारों तथा उसके अंग) को प्रतिबद्ध तरीके से संचालित किया जाता है।
किसी भी देश का राजनीतिक,प्रशासनिक,न्यायिक ढांचा तथा शक्तियां इसी लिखित दस्तावेज द्वारा तय किए जाते हैं, इसमें उस देश की जनता का बहुमुखी विकास मुख्य रूप से शामिल होता है।
संविधान मुख्यतः 2 प्रकार का होता है।
- लिखित संविधान
- मौखिक संविधान
लिखित संविधान:- वह प्रारूप है जो दस्तावेज में लिखित रूप से संग्रहित है।
भारत,स्विट्जरलैंड,USA जैसे देशों का संविधान लिखित है।
मौखिक या अलिखित संविधान:- नियमों और कानूनों का ऐसा संग्रह जो लिखित अवस्था में मौजूद नहीं है मौखिक संविधान कहलाता है।
ऐसा कांस्टीट्यूशन न्यायिक नीतियों, रीति रिवाजों और पारंपारिक उसूलों के आधार पर चलता है।
Britain, Saudi Arabia, Israel, New Zealand जैसे देशों का संविधान अलिखित है।
पूरी दुनिया में सबसे पहले संविधान का विचार लाने वाले ब्रिटेन के सर हेनरी मैन थे।
भारतीय संविधान (Indian Constitution)
भारत का संविधान विश्व का सबसे बृहद लिखित संविधान है जिसके मूल प्रारूप में
- एक प्रस्तावना
- 395 अनुच्छेद
- 22 भाग
- 8 अनुसूचियां
जबकि वर्तमान में Indian constitution के स्वरूप में
- एक प्रस्तावना
- 465 आर्टिकल
- 25 भाग
- 12 अनुसूचियां
भारतीय संविधान की प्रकृति कठोर और लचीला दोनो प्रकार का है।
भारतीय संविधान का निर्माण - Making of The Indian Constitution
हमारे देश का संविधान "भारत शासन अधिनियम 1935" पर आधारित है चूंकि Government Of India Act 1935 ब्रिटेन द्वारा लिखा गया दस्तावेज है इसीलिए भारत के संविधान पर ब्रिटेन का ज्यादा प्रभाव है। 19 February 1946 को ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री Clement Attlee ने भारत के संविधान निर्माण के लिए Cabinet Mission का गठन किया। इस मिशन ने संविधान को व्योहारिकता प्रदान की।
कैबिनेट मिशन 3 सदस्यीय था तीनों मेंबर ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य थे।
- सर स्टेफोर्ड क्रिप्स
- लॉर्ड पैथिक लॉरेंस
- A.B अलेक्जेंडर
24 march 1946 को कैबिनेट मिशन भारत आया, करीब 2 महीने बीतने के बाद Cabinet Mission ने 16 may 1946 को अपने प्रस्ताव को भारत में पेश किया और जुलाई में चुनाव आयोजित कराने का निर्णय लिया।
कुल 389 सीटों में प्रांतों के लिए 296 सीटें निर्धारित की गईं बाकी सीटें रजवाड़ों के लिए रिजर्व घोषित की गईं। 296 सीटों पर उस समय की मौजूदा कांग्रेस ने 208 और मुस्लिम लीग ने 73 और अन्य को 15 सीटों पर विजय प्राप्त हुई।
- संविधान सभा की पहली बैठक 9 December 1946 को "सच्चिदाननंद सिन्हा" की अध्यक्षता में आयोजित की गई हालांकि सिन्हा अस्थायी सदस्य थे उन्हें उम्र में सबसे ज्यादा बुजुर्ग होने के आधार सम्मान स्वरूप अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
- इस सभा का मुस्लिम लीग ने पूर्ण रूप से बहिष्कार किया और पाकिस्तान के लिए अलग संविधान सभा की मांग की।
- 2 दिन बाद 11 December 1946 दूसरी बैठक में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को स्थायी सभापति के रूप में चुना गया।
13 December 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव सभा में पेश किया गया यही उद्देश्य प्रस्ताव संविधान निर्माण के बाद उद्देशिका कहलाया। 22 जनवरी 1947 को नेहरू द्वारा प्रदत्त उद्देश्य प्रस्ताव को पारित कर विभिन्न समितियों का गठन किया गया:-
- संचालन समिति → Dr Rajendra Prasad
- संघ शक्ति समिति → J.L Nehru
- संघीय संविधान समिति → J.L Nehru
- प्रांतीय संविधान समिति → सरदार वल्लभ भाई पटेल
- प्रारूप समिति(Drafting committee) → Dr. Bhimrao Ambedkar
- झंडा समिति → आचार्य J.B कृपलानी
- Dr. B.N Rao को संविधानिक सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया।
प्रारूप समिति (Drafting Committee)
राव साहब के सलाह मशविरा से ही 29 अगस्त 1947 को प्रारूप समिति का गठन किया गया इस समिति के अध्यक्ष डॉ अंबेडकर को चुना गया, इस समिति का उद्देश्य संविधान की रूप रेखा पर विचार विमर्श करना था।
प्रारूप समिति में सदस्यों की संख्या अंबेडकर सहित 7 थी जो कि इस प्रकार हैं:-
- Dr. Bhimrao Ambedkar
- K.M.Munshi
- Muhammed Saadulah,
- Alladi Krishnaswamy Iyer
- Gopala Swami Ayyangar
- N.Madhava Rao, B.L. Mittal की जगह
- D.P Khaitan के बाद T.T Krishnamchari
प्रारूप समिति ने 21 फरवरी 1948 को असेंबली को एक रिपोर्ट सौंपी गई जिस पर 3 बार बहस हुई।
पहली बहस 4 November 1948 से 9 नवंबर 1948 तक
दूसरी बहस या वाचन 15 November 1948 से 17 October 1949 तक
तीसरा वाचन अर्थात अंतिम वाचन 14 November 1949 से 26 November 1949 तक हुई और इसके बाद संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया।
संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन लगे।
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संविधान से संबंधित कुछ जरूरी तथ्य
- भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- मोनाको का संविधान विश्व का सबसे छोटा लिखित संविधान है।
- ब्रिटेन के संविधान को संविधानों का जनक कहा जाता है।
- विश्व का सबसे कठोर संविधान अमेरिका का माना जाता है।
- भारत का संविधान लचीला और कठोर दोनो टाइप का है।
- भारत में संविधान का विचार सबसे पहले (मानवेंद्र नाथ राय) M.N Roy ने दिया था।
- स्वराज दल ने सबसे पहले संविधान की मांग उठाई थी।
- भारतीय संविधान पर सर्वप्रथम भाषण देने वाले व्यक्ति महात्मा गांधी थे।
- संविधान को भारत की जनता से जोड़ने का श्रेय जवाहार लाल नेहरू को जाता है।