ज्योतिष हो या खगोल शास्त्र,पौराणिक ग्रंथों की बात हो या आधुनिक रसायन की 'पारद' (Mercury) का महत्त्व शुरू से ही अद्वितीय रहा है सनातनी परम्परा में भगवान शिव को देवों के देव व कालों के काल महाकाल कहा जाता है वैसे तो भगवान भोले भंडारी का कोई भी शिवलिंग हो वह कण-कण में विराजित हैं और सभी रूपों में वह महत्त्वपूर्ण और विशेष हैं लेकिन कुछ ज्योतिष शास्त्र और प्रकांड ज्ञानी लोगों ने भगवान शिव की पारद के बने शिवलिंग की पूजा से विशेष लाभ और समृद्धि का प्रतीक बताया है।
ऐसा वर्णित है कि रावण ने भगवान शिव को पारद से बने शिवलिंग की आराधना और पूजा अर्चना कर प्रसन्न किया था, बाणासुर के बारे में यह बात विदित है कि महादेव को प्रसन्न करने हेतु पारद शिवलिंग की आराधना करता था,पारद शब्द का विच्छेद किया जाए तो "पारद=प+आ+र+द" यहां पर प अर्थात विष्णु, ‘आ’= अकार(कालिका), र अर्थात भगवान शंकर और ‘द’ का मतलब श्रीब्रह्माजी के प्रतीक हैं।
पारद के बारे में कहा गया है कि यह देवताओं द्वारा मनुष्यों को दिया हुआ उपहार है जिसका प्रयोग कर समस्त मानव जाति अपना कल्याण कर सकती है ऐसे में यह जानना अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि आखिर क्या है पारद और क्या मान्यता है इससे बनने "शिवलिंग" की??
पारा या पारद महादेव का वैदिक और पौराणिक महत्त्व (Vedic and Eternal Importance of Parad Shivling)
Shiv Puran के अनुसार जगतपिता श्रीहरिविष्णु ने श्रीविश्वकर्मा जी को आदेश दिया कि कई प्रकार के शिवलिंग बनाकर देवताओं को सौंपे जाए भगवान की आज्ञा पाकर विश्वकर्मा जी ने रत्न, सोने चांदी व अलग अलग धातुओं से शिवलिंग निर्मित किए और देवताओं को सौंपे और देवताओं ने पृथ्वी लोक के लिए सर्वोत्तम शिवलिंग का चुनाव किया और वह शिवलिंग पारद द्वारा निर्मित था, हालांकि सभी शिवलिंगों का अलग अलग महत्व है लेकिन धरती लोक के लिए सर्वोत्तम पारद शिवलिंग माना गया जिन्हे "पारदेश्वर महादेव" भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जहां पारा से निर्मित शिवलिंग की पूजा होती है वहां महादेव साक्षात विराजमान रहते हैं,वैदकीय और आर्युवेदिक परंपरा में "पारा" का बहुत ही महत्त्व है पौराणिक कुंजियों के अनुसार पारे से ही सृष्टि की उत्पत्ति मानी गई है,ऐसा माना जाता है कि पारद अथवा पारा की उत्पत्ति भगवान शंकर के वीर्य से मानी जाती है। पारद को 'शंभुबीज' भी कहते हैं तथा इसे पौराणिक भाषा में 'रसराज' अथवा 'महारस' भी कहा जाता है पारद को भगवान शंकर का स्वरूप और ब्रह्म के स्वरूप के बराबर माना जाता है इसीलिए पारे से बने 'शिवलिंग' की पूजा अत्यंत लाभकारी और गुणकारी मानी जाती है और साधक भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पारे से बनी शिवलिंग की पूजा करते हैं।
मध्यकालीन विद्या जो कि रसायन शास्त्र से सम्बन्धित थी उसे 'रसविद्या' या 'रसशाला' कहते थे उसी रसविद्या का एक ग्रंथ है "रसचंडाशु:"(AIMS में पढ़ाया जाता है) वहीं दूसरी ओर वागभट्ट रचित पुस्तक "रसरत्नसमुच्चय" के अध्याय 1 का 23वां श्लोक कहता है कि
"शताश्वमेधेन कृतेन पुण्यं गोकोटिभिः स्वर्णसहस्रदानात्। नृणां भवेत्सूतकदर्शनेन यत्सर्वतीर्थेषु कृताभिषेकात् ।।"
अर्थात 100 अश्वमेध यज्ञ, 1 कोटि गाय का दान, हजारों सोने की मुहरों का दान,धरती के सम्पूर्ण तीर्थों के जल से स्नान करने के पश्चात जो फल और पुण्य की प्राप्ति होती है वह 'एक बार पारद' के दर्शन से होती है।
ऊपर दो ग्रंथों के नाम बताए गए हैं इंटरनेट में खोजने पर यह श्लोक दोनो किताबों में उल्लिखित बताया गया है अतः यह पुष्टि करना थोड़ा मुश्किल है कि ओरिजनल तौर पर कौन सी किताब का है।
पारद शिवलिंग क्या है (What is Parad Shivling)
पारद शिवलिंग आकार और आकृति में एकदम शिवलिंग जैसा ही है बस बनाने वाली धातु का अंतर होता है अभी तक आपने पत्थर से बने भगवान का शिवलिंग देखा होगा लेकिन पारद के बने शिवलिंग में दो धातुओं का मिश्रण होता है,वह दो धातुएं है:-
- पारा(Mercury)
- चांदी (Silver)
इन दोनो धातुओं के मिश्रण से जो भोलेनाथ का शिवलिंग तैयार किया जाता है उसको शास्त्रानुसार विशिष्ट माना गया है। इस एक विशिष्ट शिवलिंग की पूजा अन्य हजारों लाखों शिवलिंग की पूजा के बराबर माना जाता है।
पारद के शिवलिंग की पहचान कैसे करें (How to identify of Parad Shivling)
पारद के बने शिवलिंग (Mercury Shivling) काफी शक्तिशाली होते हैं प्राकृतिक रूप से पारद काफी विषैला होता है,शिवपुराण और उपनिषदों में यह बात उल्लिखित भी है,अब सबसे बड़ा सवाल आज के जमाने में यह है कि कैसे पता करें कि असली पारद शिवलिंग(Original Parad Shivling) कौन सा है और कौन सा नकली,वैसे तो दुकानदार कुछ पंडित लोग अपने अपने ज्ञान और विद्वता के हिसाब से कुछ तरीके बताए हैं हम उन तरीकों को आप से साझा कर रहे हैं:-
1. ऐसा माना जाता है पारद शिवलिंग को सूर्य की किरणों के सामने किसी पात्र में जल में कम से कम 45 मिनट रखा जाए उसके बाद शिवलिंग का रंग थोड़ा परिवर्तित होकर गोल्डन कलर अर्थात स्वर्ण के रंग का प्रदर्शित होने लगे तो ऐसा माना जाता है कि असली है इससे संबंधित वीडियो इंटरनेट पर मिल जाएंगे,लेकिन कुछ लोगों का मत यह है कि इसके प्रामाणिकता में संसय है।
2. आजकल बहुत सारे वैज्ञानिक उपकरण आ गए हैं को किसी भी वस्तु या मूर्ति में धातुओं के मिश्रण की जांच के साथ उनके प्रतिशतता की भी जांच कर देती हैं। यदि जांच करने पर zink,कलई (tin)अथवा सिक्का(लेड)की मात्रा पाई जाती है तो वह अशुद्ध अथवा असली नही माना जाएगा,यह सारी धातुएं पारद की अशुद्धियां मानी जाती हैं और जब शिवलिंग का निर्माण किया जाता है तो बहुत बारीकी से इन अशुद्धियों को दूर किया जाता है।
वैसे तो पारद के 18 संस्कार माने गए हैं लेकिन इसके 8 संस्कार इसके शुद्धि कारण के लिए पर्याप्त हैं
- स्वेदन
- मर्दन
- मूर्छन
- उत्थापन
- त्रिविधपातन
- रोधन
- नियामन
- संदीपन
इन 8 में से सबसे महत्त्वपूर्ण पांचवां संस्कार(त्रिविधपातन) माना गया है जिसके अनुसार इन तीनों धातुओं (Zn,SN,Pb) को अशुद्धियों के तौर पर अलग करना या पतन करना होता है।
3.अष्ट संस्कारित पारद को यदि दूध के साथ उबाला जाए तो दूध में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिलेगा अर्थात शुद्ध पारद दूध से कोई अभिक्रिया नहीं करेगा अपितु यदि पारद अशुद्ध होगा तो दूध या तो गंध करने लगेगा या तो फट जाएगा।
4. पारद के शिवलिंग की शुद्धता के परख के लिए यदि वैज्ञानिक परीक्षण किया जाए तो इस पर धातुओं का प्रतिशत कुछ इस प्रकार होना चाहिए तभी आदर्श और शुद्ध मूर्ति मानी जाएगी:-
शुद्ध पारद शिवलिंग में
- 70 प्रतिशत mercury (Hg)
- 15 प्रतिशत magnesium (Mg)
- 10 प्रतिशत कार्बन या जल
- 5 प्रतिशत पोटेशियम (K)
यह सब मिलकर एक शुद्ध पारा शिवलिंग का निर्माण करते हैं।
Parad Shivling कहां से खरीदना चाहिए
आजकल आस्था हो या पूजा बढ़ते युग ने सबका बाजारीकरण कर दिया है ऐसे में यह बहुत ही कठिन प्रश्न रह जाता है कि Original Parad Shivling मिलेंगे कहाँ??
आप खरीदने के पहले कुछ बातों का ध्यान रखिए जैसे कोई दुकान ओरिजनल रुद्राक्ष के लिए फेमस हो और साथ में सर्टिफिकेट देती हो, जब मूर्ति खरीदें उसके साथ सर्टिफिकेट अवश्य दे। उत्तराखंड के हरिद्वार में आज भी कई सारी पुश्तों से चली आ रही ऐसी दुकानें मिल जाएंगी जहां पीढ़ियों से इसी काम के लिए जाना जाता है।
आजकल घर बैठे भी Online Parad Shivling मंगवा सकते हैं ऐसी कई विश्वसनीय सेवा प्रदान करने वाले हैं जो शिवलिंग के साथ Lab Test Certificate भी उपलब्ध कराएंगे आप इंटरनेट पर जांच परख कर रिव्यू पढ़कर खरीदारी कर सकते हैं।
अगर आप किसी स्टोर से जाकर खरीद रहें हैं तो अपने साथ किसी जानकार आदमी के साथ जाएं और पूरे तथ्य और वास्तविकता जानकर सावधानी से असली या नकली की पहचान कर खरीदें।
पारद शिवलिंग की कीमत क्या होगी (Price of Parad Shivling)
शिवलिंग की कीमत उसके आकार और वजन के आधार पर तय होती है एक नॉर्मल साइज के अनुसार कीमत का आंकलन किया जाए तो 1200 रुपए से लेकर 2500 के आसपास तक होती है।
पारद शिवलिंग का आकार कितना होना चाहिए (Size of Parad Shivling)
घर पर जो पारे के शिवलिंग स्थापित होते हैं उनका आकार अंगूठे से बड़ा नही होना चाहिए,इसके पीछे का तर्क यह है कि शिवलिंग ऊर्जा विस्तारित करने वाला केंद्र है और आकार में जितना बड़ा होगा ऊर्जा का फैलाव बढ़ेगा और इस ऊर्जा का नकारात्मक प्रभाव पड़ने के आसार माने जाते हैं क्योंकि मनुष्य की अपनी क्षमताएं सीमित हैं इसलिए ऐसा कहा जाता है कि बड़े शिवलिंग लेने से घर पर ताण्डव का माहौल रहता है।
पारद शिवलिंग को पूजने से होने वाले लाभ (Benefits of Parad Shivling)
वैसे तो भगवान की पूजा फायदे के लिए नहीं अपितु आत्मशांति के लिए होती है चूंकि मूर्ति विशेष है तो लाभ भी विशेष होंगे।
- गृह कलेश में शांति और घर पर काफी सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है।
- घर के सदस्यों की बीमारियों तथा स्वास्थ्य लाभ में भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा बनी रहती है।
- यदि घर पर वास्तु का दोष भी है तो ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की पारद का शिवलिंग स्थापित करने से इस दोष से मुक्ति मिलती है।
- पारे के शिवलिंग को प्रतिदिन जल में स्नान कराने से, अगर किसी ने आपके घर पर तंत्र मंत्र इत्यादि प्रयोग भी किया होगा तो पल भर में सब नष्ट हो जाएगा।
- शिवपुराण में वर्णित कथा के अनुसार पारद शिवलिंग के छूने मात्र से अकाल मृत्यु की अल्प का निषेध हो जाता है और मनुष्य सभी भय व व्यभिचार से मुक्त हो जाता है।
- पारद शिवलिंग के घर पर उपस्थित मात्र होने से ही भगवान शिव और धन की माता लक्ष्मी और कुबेर का गृह पर सदैव वास बना रहता है,और तीनों का वास बना रहता है।
- पारे के शिवलिंग के साथ दक्षिणावर्ती शंख रखना अत्यन्त शुभता और लाभकारी माना जाता है।
- नवग्रहों के नकारात्मक या अनिष्ट प्रभाव को पारद शिवलिंग की पूजा से खत्म किया जा सकता है।
- संतानहीन दंपत्ति यदि Parad Shivling की पूजा विधि विधान और श्रद्धा पूर्वक करते हैं तो उन्हें संतान प्राप्ति का शुख मिलता है।
- ऐसा माना जाता है कि जितना पुण्य महादेव के सारे ज्योर्तिलिंग के दर्शन से प्राप्त होते हैं उतना पुण्य पारद भोलेनाथ के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाते हैं।
- गन्ने के रस से भोलेनाथ को अभिषेक करने से जन्म जन्मांतर की दरिद्रता को दूर कर देता है।
"बुद्धि विवर्धनकारणलिंगम"
अर्थात शिवलिंग पूजा बुद्धि का वर्धन करती है।
पारद शिवलिंग की घर में स्थापना, पूजन व विधि विधान (Rituals of Parad Shivling)
महादेव को केवल मन से याद करने से ही भगवान भोले प्रसन्न होते जाते हैं लेकिन Parad Shivling की स्थापना और पूजन विधि के लिए ज्ञानियों और पुराणों में कुछ बातें बताई गईं हैं। Parad shivling को स्थापित करने की आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि यह अपने आप में स्वयं सिद्ध होता है लेकिन घर पर विराजने के पहले कुछ पूजा की विधि विधान है उसे अवश्य ही करना चाहिए:-
1. सोमवार का दिन होना चाहिए,अगर सावन में है तो किसी दिन भी कर सकते हैं क्योंकि सावन भगवान भोलेनाथ को अत्यन्त प्रिय है।
2. भक्त को नहाकर बिना खाए शुद्ध मन से एक आशन ग्रहण कर उत्तर-पूर्व दिशा में विराजना चाहिए,तथा रुद्राक्ष की माला और थोड़ा भस्म शरीर पर लगा लेना चाहिए, शास्त्रों में मान्यता है कि जातक को जिस भी अपने इष्ट की पूजा करनी हो उनकी थोड़ा सा भेष भूसा अपना कर पूजन करने से भगवान प्रसन्नचित होते हैं और भक्तों पर कृपा करते हैं।
3. Parad Shivling के लिए पूजन सामग्री में:-
- शुद्ध ताजा जल
- गंगाजल
- गाय माता का दूध
- चावल
- हल्दी
- चन्दन
- रोली
- दूब
- घी का दीपक
- भांग
- भस्म
- धतूरा
- बेलपत्र
- स्नान वाली जलहरी
- पंचामृत इत्यादि,यह मुख्य सामग्री है जो पूजन के समय होना चाहिए।
- आप भोग के लिए फल या आटे की बनी पंजीरी का उपयोग कर सकते हैं।
4. अब भक्त या जातक को पारद से बने शिवलिंग को तांबे के पात्र में थोड़ी देर के लिए जल और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराना चाहिए और याद रहे कि साथ में ॐ नमः शिवाय का जाप निरंतर करते रहें और माता पार्वती का भी ध्यान निरंतर करते रहें, इस स्नान के बाद दूध के पात्र में पूरी तरह डुबाकर स्नान कराना चाहिए।
5. स्नान के बाद आसन किसी तांबे के पात्र में दें और उनके दाएं तरफ दीपक जला दें,साथ ही किसी सूती सफेद वस्त्र से शिवलिंग को अच्छे से पोंछकर उन्हें चन्दन,टीका चावल इत्यादि चढ़ाएं। ध्यान रहे कि पारद शिवलिंग को वहां विराजित करें जहां पर शिव परिवार की प्रतिमा पहले से लगी हो,अकेले भगवान शिव की पूजा नही करना चाहिए ऐसी मान्यता है।
6. इसके बाद भांग और फिर बेलपत्र से पूरे शिवलिंग को ढांक दें और धतूरे का भोग लगाएं,शिवलिंग के ऊपर जलहरी से बूंद बूंद पानी टपकते रहना चाहिए।
कुछ मंत्रोच्चार हैं जिनसे भगवान प्रसन्न होते हैं जैसे
"कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।"
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
- "ॐ नमो नीलकंठाए नमः
- ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
- ॐ पार्वतीपतये नमः"
भगवान Shiv के इन मंत्रों का जाप दोहरा सकते हैं। मंत्रोच्चार के बाद शिव जी की आरती का गायन और जोरदार शंखनाद होना चाहिए। यह विधि आप भगवान शिव की किसी भी शिवलिंग को विराजित या स्थापित करने के लिए कर सकते हैं।
7. शिवलिंग अभिषेक के जल को तुलसी, बरगद और पीपल के वृक्ष पर नही डालना चाहिए।
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समापन
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