भगवान शिव का स्वरूप अद्भुत है वह व्यापक अनादि और अनंत हैं सनातन सभ्यता में देवों के देव महादेव का मुख्य स्थान है वह संहार के देवता हैं उनके दर्शन मात्र से ही कई जन्मों के पाप का निवारण होता है वह महाकाल भी हैं और भोलेनाथ भी, ऐसा माना जाता है कि सृष्टि में जो कुछ भी घटित हो रहा है उसका निर्धारण पूर्ववत हो जाता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ ऐसा भी माना जाता है कि सृष्टि की निर्धारित नियति को यदि कोई बदल सकते हैं तो वह केवल भगवान शिव हैं।
हमारा देश भारत धर्म एवं और मंदिरों का देश है यहां हजारों की संख्या में पवित्र मंदिर हैं उन्हें मंदिरों में कुछ मुख्य शिवालय हैं और उन सवालों में 12 ज्योतिर्लिंग है भोलेनाथ के इन ज्योतिर्लिंगों को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है हर साल लगभग लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन कर आनंद प्राप्त करते हैं। इस लेख में महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताया गया है जैसे की ज्योतिर्लिंग क्या है, ज्योतिर्लिंग के नाम व स्थान उनकी उत्पत्ति इत्यादि के बारे में जानेंगे।
ज्योतिर्लिंग का अर्थ क्या है?
ज्योतिर्लिंग शब्द मूलतः संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है पहला शब्द 'ज्योति' जिसका अर्थ होता है प्रकाश या 'पुंज' तथा दूसरा शब्द है लिंग अर्थात चिन्ह, संकेत अथवा प्रतीक।
धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव प्रकाश के रूप में इन 12 संकेत में मौजूद है और यह भी माना जाता है कि जब से इस धरती का अस्तित्व है तब से यह ज्योतिर्लिंग मंदिर के रूप में 12 अलग-अलग स्थान में विद्यमान है इनके दर्शन मात्र से तमाम तरह के कष्टों का निवारण होता है इन 12 ज्योतिर्लिंगों की अलग-अलग कहानियों का विवरण शिव पुराण तथा अन्य धार्मिक किताबों में उल्लिखित है।
ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति
पौराणिक मान्यताओं में ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति को लेकर अनेकों दंत कथाएं प्रचलित हैं जैसे एक कथा यह है कि पृथ्वी पर एक प्रकाश पुंज गिरा जोकि 12 भागों में विभक्त होकर अलग-अलग स्थान पर स्थापित हो गया इन्हीं स्थानों को भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के रूप में जानते हैं।
एक अन्य कथा शिव पुराण के अनुसार सर्वविदित है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तब त्रिदेवों में से दो देव श्री ब्रह्मदेव और जगत पिता नारायण में इस बात का वाद-विवाद चल रहा था कि दोनों में सर्वश्रेष्ठ कौन है ब्रह्मदेव का मानना था कि पृथ्वी के निर्माण कार्य में पूर्ण रूप से भेगीदारी उनकी है इसलिए श्रेष्ठ वही हुए वहीं श्रीनरायण का मानना था कि ब्रह्मदेव की उत्पत्ति उनके नाभि से हुई है इसलिए उनका स्थान सर्वश्रेष्ठ है यह बहस चल ही रही थी कि अचानक उन दोनों के सामने एक प्रकाश पुंज दिव्यज्योति के रूप में प्रकट होता है और उस पुंज से एक आवाज आती है कि जो इस पुंज का ऊपर तथा नीचे का हिस्सा खोज कर बता देगा वही श्रेष्ठतम होगा।
श्रीहरि और ब्रह्मदेव युगो युगांतर तक प्रकाश पुंज के छोरों पर गतिमान रहे लेकिन उस अनन्त प्रकाश का छोर न ढूंढ सके इसके बाद उस पुंज से भोलेनाथ प्रकट होते हैं तब श्री हरि और श्री ब्रह्मदेव को ज्ञान होता है कि श्रेष्ठता मात्र वहम है सत्यता नही है। वही प्रकाश ज्योति भगवान शिव की प्रतीक बनी और पृथ्वी पर विराजमान हुई और ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुई।
12 ज्योतिर्लिंगों के नाम, स्थान व स्तुति
भारत के अलग-अलग राज्यों में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थित है सबसे ज्यादा ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में स्थित हैं। सबसे पुराना ज्योतिर्लिंग गुजरात का सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है।
शिवपुराण में द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्तुति दी गई है इसका पाठ करने मात्र से ही दर्शन के बराबर का फल प्राप्त होता है और 12 ज्योतिर्लिंगों की कृपा बनी रहती है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
॥ इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम् ॥
क्र.स. | ज्योतिर्लिंग का नाम | राज्य | स्थान |
1. | सोमनाथ ज्योतिर्लिंग | गुजरात | वेरावल, सोमनाथ |
2. | मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग | आंध्र प्रदेश | श्रीशेलम |
3. | महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग | मध्य प्रदेश | उज्जैन |
4. | ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग | मध्य प्रदेश | खंडवा |
5. | वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग | झारखण्ड | देवघर |
6. | भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग | महाराष्ट्र | खेड़ तालुका, पुणे |
7. | रामेश्वर ज्योतिर्लिंग | तमिलनाडु | रामेश्वर |
8. | नागेश्वर ज्योतिर्लिंग | गुजरात | द्वारका |
9. | काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग | उत्तर प्रदेश | वाराणसी |
10. | त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग | महाराष्ट्र | नासिक |
11. | केदारनाथ ज्योतिर्लिंग | उत्तराखंड | केदारनाथ |
12. | घृणेश्वर ज्योतिर्लिंग | महाराष्ट्र | औरंगाबाद |
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित यह शिवलिंग ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहले स्थान पर आता है। शिवपुराण के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चंद्रमा द्वारा कराया गया था। इतिहास में मुस्लिम आक्रांताओं महमूद गजनवी(1095), दिल्ली सल्तनत(1297), 16ई. में औरंगजेब द्वारा तोड़ा गया लेकिन यह आज भी पर्वत के समान खड़ा है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश के कृष्णा नदी के तट पर स्थित श्रीशैल पर्वत में विराजित है। श्रीशैल पर्वत को दूसरा कैलाश या "भारत का कैलाश" की संज्ञा दी जाती है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्य प्रदेश के क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित शहर उज्जैन में यह ज्योतिर्लिंग महाकाल के नाम से विश्व विख्यात है। यह इकलौता ज्योतिर्लिंग है जिसके मुख की दिशा दक्षिण की ओर है। ज्योतिर्लिंग की पूजा पद्धति और शिवलिंगों से भिन्न है यहां पर शमशान की रख से भस्म आरती होती है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्यप्रदेश के नर्मदा के तीर स्थित खण्डवा जिले में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं यह उज्जैन महाकाल से से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। नर्मदा नदी के जल द्वारा इनका अभिषेक करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ देवभूमि उत्तराखंड में सोनप्रयाग के पास मंदाकिनी और अलकनंदा के तट पर स्थित हैं यहां के बारे के कहा जाता है कि यहां स्वर्ग से हवाएं आती हैं। यहां से कुछ दूरी पर भगवान विष्णु बद्रीधाम में विराजमान हैं मान्यता है कि बाबा केदार के दर्शन बद्रीधाम के बिना अधूरे हैं।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे शहर के पास स्थित सह्याद्रि पर्वत में विराजमान हैं चूंकि यह शिवलिंग भीमा नदी के तट पर स्थित है और शिवलिंग भीम की तरह विशालकाय है इसीलिए इनका एक और नाम है 'मोटेश्वर ज्योतिर्लिंग'।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
काशी को धरती का पहला नगर माना जाता है और यह कहा जाता है कि यह महादेव के त्रिशूल में बसी हुई है। यह शहर बाबा विश्वनाथ की नगरी है भगवान यहां विराजमान हैं।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाराष्ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर की दूरी पर गोदावरी नदी के किनारे त्रयंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग स्थित है। इस मंदिर की खास बात यह है की पूरा काले पत्थर से बना हुआ है 16वीं शताब्दी में औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ दिया था बाद में पेशवाओं ने जीर्णोद्धार कराया था।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
यह शिवलिंग झारखंड के देवघर में विराजमान है रावण द्वारा लंका ले जाते समय इस शिवलिंग को रखा गया था बाद में उठा न पाने की वजह से यहीं ज्योतिर्लिंग विराजमान हो गए।
नागेश्वल ज्योतिर्लिंग
भगवान भोलेनाथ नागों के देवों हैं इस वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वल है यह गुजरात के बड़ौदा के पास श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका के समीप स्थित हैं।
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की नीव श्रीराम द्वारा रखी गई थी इसलिए इनका नाम रामेश्वरम है भगवान राम के आराध्य देव भगवान शिव हैं।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
सबसे आखिरी घृष्णेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग आते हैं यह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के दौलताबाद में विराजित हैं। इनके पास ही एलोरा की गुफाएं स्थित हैं।
12 ज्योतिर्लिंग से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ज्योतिर्लिंग का संबंध भगवान शिव से है। कई तरह के सवाल भक्तों के मन में आते रहते हैं उन्हीं को दूर करने का प्रयास किया है।
इनके दर्शन कहां से शुरू करें?
इनके दर्शन कहां से शुरू करें?
शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर होता है?
शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर होता है?
समापन
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानकारी देने से पूर्व विधिवत अध्ययन किया गया है यदि कोई त्रुटि है तो कमेंट करके बताएं अवश्य सुधार किया जाएग हर हर महादेव।