जब सृष्टि की शुरूवात हुई तभी से भगवान महादेव के शिवलिंग की पूजा का विधान था ब्रम्हा समेत अन्य देवतागण ने अपने अपने तरीके से शिव आराधना और उपासना की।
श्रीराम ने रामेश्वरम की पूजा की वहीं कुबेर को पुष्पक विमान से लेकर संपूर्ण धन धान्य की प्राप्ति महादेव की आराधना से ही प्राप्त हुआ, जनक जैसे राजाओं को भक्त वतस्लता मिली वहीं रावण और भस्मासुर जैसे राक्षसों को शक्ति के साथ ख्याति भगवान महादेव के आत्मलिंग की पूजा से प्राप्त हुई। ऋषि पिपलाद, दधीचि, मार्कंडेय और लोमेश जैसे महान ऋषियों को दीर्घ आयु के साथ ज्ञान की प्राप्त हुई।
भगवान महादेव के लिंग का मतलब
भगवान शंकर के शिवलिंग का का अर्थ ही सृजन है स्थूल से लेकर मूल तक सब शिवमय है लिंग के ऊपरी भाग में स्वयं भोलेनाथ मूल में ब्रह्मदेव और मध्य भाग में भगवान विष्णु का स्थान है और जिस पर लिंग विराजित है वह स्वयं पार्वती हैं अर्थात जिसने इनकी पूजा कर ली उसने शिव और पार्वती की पूजा कर ली।
ब्रम्हा जी ने शिल्पकार विश्वकर्मा को बुलाकर आदेश दिया कि वह स्वर्ण, नीलम, पन्ना, पीतल और हीरा धातुओं से भगवान आशुतोष के लिंगों का निर्माण करें। आइए जानते हैं कि किन देवताओं ने महादेव के किस धातु से बने आत्मलिंग की आराधना की।
देवताओं के द्वारा विभिन्न प्रकार के धातुओं से बने शिवलिंगों का पूजन
कलयुग में धन ऐश्वर्य प्राप्ति और अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है मिट्टी से बने शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। सृष्टि के प्रारंभ से देवताओं द्वारा पूजे गए लिंग
- जगतपिता परमपिता परमेश्वर भगवान विष्णु द्वारा नीलकांतमणि अर्थात नीलम धातु से बने पुंज्य की उपासना की।
- इंद्र - पुखराज
- कुबेर - सोना
- विश्वेदेवों - चांदी
- वसुओं - चंद्रकांत मणि से निर्मित शिवलिंग
- वायु देवता - पीतल धातु
- अश्वनी कुमारों - मिट्टी
- वरुण - स्फटिक
- आदित्यों - तांबे
- सोमराट - मोती
- अनंत - मूंगा
- दैत्य और राक्षस - लोहा निर्मित
- चामुण्डा - बालू
- यमराज - मरकतमणि
- रुद्र - भस्म
- लक्ष्मी माता बेल के फल से बने शिवलिंग की आराधना करती थी।
- गुह - गोबर से निर्मित
- मुनियों द्वारा - कुशा से निर्मित
- वामदेव - पुष्पलिंग
- सरस्वती - रत्नलिंग
- मंत्रों - घी
- वेद - दधीलिंग
- पिशाचों द्वारा - कटे हुए शीश
अलग अलग धातुओं से बने शिवलिंग की पूजा करने के फल
कलयुग में लौह, तांबा, कांसा और रक्तचंदन से बने शिवलिंग की पूजा करना निषेध माना गया है जबकि कुछ धातुएं ऐसी हैं जो अत्यंत शुभता का प्रतीक हैं
- नर्मदा नदी का हर कंकर ही शंकर के समान है।
- पारद शिवलिंग का महत्त्व कलयुग में बहुत ही ज्यादा है इस धातु से बहुत ही खास तरीका अपनाया जाता है धन, शुभता, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति मिलती है।
- सावन में मिट्टी के लिंगों का अभिषेक साक्षात महादेव से आशीर्वाद करने के बराबर है।
- पत्थर से निर्मित और मंत्रोच्चार द्वारा प्राण प्रतिष्ठित महादेव सभी सिद्धि देने वाले हैं।
- जौ, चावल और गेहूं से बनाए गए महादेव के आत्मलिंग को पूजने से बांझ स्त्रियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- दूध, दही और तिल से बनाए गए शंकर समस्त बाधाओं से मुक्त करते हैं।
- गम्भीर रोगों से मुक्ति के लिए "सीता खंडमय शिवलिंग" का निर्माण कर उसकी उपासना करना चाहिए।
- दूर्वा, स्वर्ण और कपूर से निर्मित शिवलिंग की पूजा अर्चना महामुक्ति देने वाला तथा अकालमृत्यु का निवारण करने वाला होता है।
- भस्म से बनाए गए आत्मलिंग सर्वश्रेष्ठ फल देहि वाले होते हैं।
- Parad Shivling पारद शिवलिंग की स्थापना उत्पत्ति, पूजनविधि व लाभ, पौराणिक महत्त्व सहित सम्पूर्ण जानकारी
- कैलाश - ब्रह्मांड का सबसे रहस्यमयी पर्वत (Kailash - The Most Mysterious Mountain in the Universe)
- क्रिया योग : आध्यात्मिक जागृति और परमात्मीय साक्षात्कार का राजसी पथ (Kriya Yoga)
- भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग के नाम, स्थान व उत्पत्ति - 12 Jyotirlinga Name
रत्न और धातु से बने शिवलिंग आपको आपार वैभव, सफलता, धन धान्य समृद्धि देते हैं वहीं सच्ची श्रद्धा से मिट्टी के बने महादेव में एक बेलपत्र और थोड़े चावल चढ़ाने से सारे मनोरथ दूर होते हैं भक्त वत्सल भगवान आशुतोष तो वैरागी हैं वह भोले हैं दिल से समर्पण भाव से नाम लेना ही काफी होता है।
इस लेख की सामग्री कई स्रोतों से एकत्र कर लिखी गई है लिखने में अत्यंत सावधानी बरती गई है किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर कमेंट के माध्यम से लिख भेजें।