स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत की लगभग एक तिहाई आबादी "बवासीर की बीमारी" से ग्रसित है हर साल लगभग 1 करोड़ लोग इस रोग से पीड़ित होते हैं आकर्षक दिखने के लिए बेतरतीब खानपान और बिजी शेड्यूल इसके साथ ही केमिकल उत्पादों से युक्त भोजन इसके मुख्य कारक हो सकते हैं।
40 से 45 वर्ष के अधेड़ उम्र के लोगों में यह बीमारी का प्रतिशत लगभग 50 प्रतिशत है यानी कि हर 2 में से एक व्यक्ति को है, इस बीमारी का इलाज डॉक्टरी चिकित्सा में संभव है लेकिन इसे आयुर्वेदिक व कुछ घरेलू उपाय करके शुरुवाती दौर में खत्म भी किया जा सकता है आइए जानते हैं कि बवासीर को जड़ से खत्म कैसे करें इसी के बारे में पूरी जानकारी को क्रमवार पढ़ें।
बवासीर(Piles) क्या है
Piles(Meaning in Hindi) को आमतौर पर हिंदी में बवासीर कहा जाता है यह बीमारी औरत और पुरुषों दोनो में पाई जाती है जब मलद्वार और गुदा के बीच के हिस्से में सूजन होती है और धीरे धीरे मलद्वार के बाहर की तरफ या अंदर की तरफ खुजलाहट शुरू हो जाती है और कुछ ही दिनों में मस्से या दाने निकल आते हैं यह इसके पहले चरण की शुरूवात होती है अंतिम चरण तक मल त्याग करते समय खून निकलना भी शुरू हो जाता है अगर इसे समय रहते डॉक्टरी परामर्श न लिया जाए तो यह मरीज की सेहत के लिए अत्यंत दुष्परिणामी सिद्ध हो सकता है।
बवासीर के प्रकार और ग्रेड : Types of Piles And Grade
आमतौर पर देशी भाषा में इसके 2 ही प्रकार होते हैं एक होती है आंतरिक और दूसरी होती है बाह्य बवासीर।
- आंतरिक बवासीर को ही 'खूनी बवासीर' (Internal Hemorrhoids) कहते हैं इस तरह की पाइल्स प्रॉब्लम में मलद्वार के पास कोई भी सिम्पटम नजर नहीं आते हैं मलद्वार के अंदरूनी हिस्से में गुच्छेदार मस्से होते हैं जो मोशन के समय बाहर आते हैं और खून की बूंदे उनसे रिसने लगती हैं।
- बाहरी बवासीर को ही बादी पाइल्स (External Hemorrhoids) भी कहते हैं इस वाली पाइल्स में लक्षण मलद्वार के बाहरी हिस्से में नजर आते हैं खुजली होना और सूजन इसके प्रमुख लक्षण हैं मल त्याग करते समय मरीज को अत्यंत तेज पीड़ा और जलन का अनुभव होता है उठने बैठने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है।
इस बीमारी की गंभीरता को समझने के लिए मेडिकल साइंस ने इसे 4 प्रकार के ग्रेड में बांट दिया है
- Grade - 1 इसमें बिल्कुल इनिशियल लेवल लक्षण प्रकट होते हैं जैसे कि लेट्रिन करते समय एनस में सूजन महसूस करना तथा हल्का जलन या चुभन का एहसास होता है।
- Grade - 2 यह पहले वाले ग्रेड से थोड़ा ऊपर की स्टेज है इसमें रोगी को वॉक करते समय या एक जगह पर बैठे रहने से भरी पीड़ा का अनुभव होता है बेचैनी सी लगती है लैट्रिन करते समय मस्से बाहर निकलने लगते हैं और थोड़ी मात्रा में खून भी निकलना संभावित हो सकता है।
- Grade - 3 यहां से यह रोग अत्यंत खतरनाक हो जाता है और इसके परिणाम हैल्थ को काफी डैमेज कर सकते हैं इसमें मल छेद के पास हल्का रक्त रिसता रहता है और दर्द का स्तर बैठने या लेटने में असहनीय हो जाता है इसमें मस्सों के गुच्छे को शौंच के दौरान अपनी उंगलियों से रोगी को अंदर धकेलना पड़ता है जो कि बेहद दर्दनीय होता है इसमें एलोपैथ में डॉक्टरी परामर्श में आजकल लेजर ऑपरेशन की सलाह दी जाती है।
- Grade - 4 इसमें दानों(Lump) के गुच्छे का आकार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और यह आखिरी स्टेज होती है चलते फिरते सोते हर समय इस स्टेज में खतरनाक पीड़ा होती है इसका अंग्रेजी पद्धति में डॉक्टर चिकित्सीय ओपन ऑपरेशन की सलाह दी जाती है।
बवासीर के लक्षण : Symptoms Of Piles
अगर रोग का पता उसके शुरुवाती चरण में पता चल जाए तो ठीक होने के कई मौके रहते हैं बवासीर बीमारी के शुरुवाती लक्षणों को इन बिंदुओं के आधार पर पहचान सकते हैं।
- शौच करते समय मलद्वार पर पीड़ा का एहसास होना, खुजली और जलन की समस्या।
- मल त्याग के समय ही गुदा द्वार से खून का रिसाव होना।
- गुदा पर सूझन के अलावा गांठ या मस्से होना।
- चलने या बैठने में दर्द का एहसास होना यह शुरुवाती लक्षण हैं ऐसे कोई सिंप्टम अगर रोगी को समझ आ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
बवासीर होने के क्या क्या कारण हो सकते हैं
वैसे पारिवारिक हिस्ट्री से लेकर दूषित खान पान तक मुख्य कारण हो सकता है।
- बवासीर या हेमराइड्स एक सामान्य बीमारी है अगर रोगी लंबे समय से कब्ज या अपच से परेशान है और दस्त के लिए दिन में 2 से 3 बार जा रहा है और मल को त्याग करते समय ज्यादा जोर लगा रहा है तो गुदा के आसपास का हिस्से की नशे सूझ जाती हैं।
- लंबे समय से अगर रोगी को डायरिया है तो गुदा के आसपास चिकनाहट की वजह से सूजन होती है और इस रोग की शुरूवात हो जाती है।
- तेल मसाले युक्त भोजन खाने से भी इस बीमारी की शुरूवात होती है।
बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक औषधि से उपचार व घरेलू उपाय या नुस्खे : Home Remedies And Ayurvedic Treatment for Piles
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को संग्रह कर दवाई का निर्माण किया जाता है यह हमारे देश की अत्यंत पुरानी पद्धति है आइए जानते हैं कि बवासीर के लिए क्या क्या उपयोगी है।
- आंवला रीठा
- सफेद कत्था
- कुश्ता फौलाद
दवा बनाने की विधि - 50 ग्राम रीठे को गरम तवे में रखकर कटोरी से ढक दें और नीचे से मध्यम आंच आधे घंटे तक जलने दें, जब तवा ठंडा हो जाए तो ढके बर्तन को उठाकर देखेंगे कि रीठे की भस्म तैयार हो चुकी होगी,रीठे की भस्म 20 ग्राम में इतनी ही मात्रा में सफेद कत्था और 3 ग्राम कुश्ता फौलाद मिलाकर पीस लेंवे।
सेवन विधि - 1 ग्राम सुबह और एक ग्राम शाम को 20 ग्राम मक्खन में रखकर खाएं और इसके बाद 250 ग्राम हल्का कुनकुना दूध का सेवन करें, 10 से 15 दिन के लेने से खूनी अथवा बादी बवासीर के लिए नाशक सिद्ध होगी यह एक बढ़िया दवा है।
अगर खूनी बवासीर है तो उसके लिए 10 ग्राम गेंदे का हरा पत्ता , 5 दाने काली मिर्च, कुंजा मिश्री 10 ग्राम को 60 ग्राम पानी में रगड़कर छान लें लगातार एक हफ्ते तक सेवन करने से यह लाभकारी होगा।
Bawasir के लिए कुछ घरेलू उपाय जिन्हे आप कर सकते हैं जैसे कि ;-
- सूजन वाले हिस्से में आराम पाने के लिए आइस पैक या बर्फ के टुकड़ों को किसी पॉलिथीन में भरकर लगाएं आराम मिलेगा।
- पाचन क्रिया वाले व्यायाम करें ताकि मोशन करने में ज्यादा जोर न लगाना पड़े।
- पानी की मात्रा बढ़ा दें और साथ में रसदार फलों का सेवन करें।
- ज्यादा फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में सम्मिलित करें, फाइबर आंतों को सेहत प्रदान करता है।
- बवासीर के मस्सों को ठीक करने के लिए लगभग 200 ग्राम एलोवेरा की मात्रा लेवें और इसका खाने के साथ मस्सों में लगाएं जो जलन को कम करेगा।
- ऑलिव ऑयल को कॉटन में लगाकर मस्सों पर लगाएं इससे सूजन और दर्द से छुटकारा मिलेगा।
बवासीर के लिए मरहम (Ointment For Piles)
आप घर पर बवासीर के लिए मलहम बना सकते हैं इसके लिए आवश्यक सामग्री इस प्रकार है।
- कपूर 6 ग्राम
- सल्फाडायजिन की 3 गोली
- बोरिक एसिड 6 ग्राम
इन तीनों को वैसलीन सफेद 50 ग्राम में मिलाकर रात को सोते समय सुबह दस्त जाने के पहले रोजाना अपनी उंगली से बवासीर के मस्सों पर लगाएं यह अत्यंत गुणकारी और लाभकारी ऑनिटमेंट है।
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Disclaimer:
यह सब जानकारी इंटरनेट और कुछ पुस्तकों के माध्यम का इस्तेमाल कर एकत्र की गई है यह सब बुनियादी इलाज है किसी भी जानकारी में त्रुटि होना प्रकाशक या संस्थान जिम्मेदार नहीं होगा, अगर बीमारी में ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो डॉक्टरी या वैदकी परामर्श अत्यंत आवश्यक है।