एलोरा का कैलाश मन्दिर, प्राचीन संस्कृति और कला का रहस्मयी धरोहर : Ellora Kailash Temple

प्राचीन काल से लेकर मध्यकालीन भारत तक आर्ट और कल्चर की एक से बढ़ कर एक धरोहरें मिलती हैं दक्षिण भारत से  लेकर उत्तर तक अद्वितीय संस्कृति और कला का संगम देखने को मिलता हैं।

Ellora Kailash Temple

ऐसे ही एक संगम महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा की गुफाओं में देखने को मिलता है बीस की नोट पर एक चित्रकारी नजर आई होगी वह इसी एलोरा गुफा के कैलाश मन्दिर की तस्वीर है इस मंदिर की विशेषता और खूबियों से परिचित होने के लिए आगे पढ़ें।

एलोरा की गुफाओं में शिवजी को समर्पित कैलाश मंदिर

Ellora Caves के बारे में बचपन से ही बच्चों को स्कूल में पढ़ाया जाता है यह बुद्धिस्म, जैनिज्म और हिंदू संस्कृति की विभिन्नता को एकता में जोड़ने का प्रतीक है यहां कुल 34 गुफाएं हैं जिनमे भगवान शिव का कैलाश मंदिर और साथ ही भगवान विष्णु के 24 अवतारों की मूर्तियां देखने को मिलती हैं और साथ ही जैन और बुद्धिज्म के भगवानों की कलाकृतियों का अद्भुत प्रदर्शन देख सकते हैं।

Kailash mandir, Ellora

एलोरा की 34 गुफाओं में गुफा नंबर 16 में भगवान शंकर का बड़ा सा मन्दिर स्थित है जहां पर एक बड़ा सा शिवलिंग और नन्दी महाराज विराजित हैं हालांकि यहां की लगभग सारी मूर्तियों को मुगल शासक औरंगजेब द्वारा खंडित किया गया है।

एलोरा के कैलाश मन्दिर का इतिहास 

History of Kailash Temple, Elora की बात करें तो यह द्रविड़ शैली से प्रेरित मन्दिर है  इसे 1983 में UNESCO द्वारा विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया गया।

shivling and nandi in kailash temple

मन्दिर की ऊंचाई 154 फीट और चौड़ाई लगभग 276 फीट है इसका निर्माण राष्ट्रकूट वंश के शासक नरेश प्रथम ने 787 से 783 ईस्वी के मध्य करवाया था।

kailash mandir Ellora description

मन्दिर की खास बात यह है कि इसे एक 40 हजार टन के पत्थर को काटकर बनाया गया है यह दुनिया की पहली कारीगरी है जो एक ही पत्थर से बना हुआ है इसे ऊपर की तरफ से नीचे की ओर तराशा गया है इन कलाकृतियों को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्राचीन भारत कला और सांस्कृतिक रूप से कितना समृद्ध रहा होगा।

कैलाश मन्दिर, एलोरा की कहानी

यह मन्दिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद के वेरुल गांव में स्थित है जिसे एलोरा नाम से भी जाना जाता है इस मन्दिर के निर्माण के पीछे की कहानी राष्ट्रकूट वंश के राजा नरेश प्रथम से जुड़ी हुई है

Kailash mandir shikhar parisar

ऐसा माना जाता है कि एक बार राजा गंभीर रूप से बीमार हुए तब उनकी रानी ने भगवान भोलेनाथ के सामने विनती कर एक मान्यता मानी कि जब राजा स्वस्थ्य हो जाएंगे तब वह एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण करवाएंगी और तब तक व्रत रखेंगी जब तक मंदिर का शिखर न बन जाए, राजा ठीक हो गए किंतु मन्दिर निर्माण में अधिक समय की वजह से भूखा रहना संभव नहीं था अंततः रानी ने भगवान शिव से सहायता मांगी और शंकर जी ने "भूमिअस्त्र" प्रदान किया जिसकी सहायता से मंदिर निर्माण हुआ ऐसा माना जाता है कि यह मन्दिर एक रात में तैयार हुआ है लेकिन इतिहासकार कई दशक बताते हैं।

kailash temple statue

इस मन्दिर का निर्माण कैलाश में विराजित महादेव के मन्दिर को ध्यान में रखकर बनाई गई है राजा और रानी का मानना था कि जो लोग कैलाश पहुंच पाने में समर्थ हैं वह यहां पर आकर दर्शन कर लेंगे, ASI के अनुसार इस मन्दिर में पूजा पाठ के साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए हैं।

इसी मंदिर से करीब एक किलोमीटर पर भगवान भोलेनाथ का द्वादश ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं जब भी यहां जाए तो अवश्य दर्शन करें।

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Amit Mishra

By Amit Mishra

नमस्कार! यह हमारी टीम के खास मेंबर हैं इनके बारे में बात की जाए तो सोशल स्टडीज में मास्टर्स के साथ ही बिजनेस में भी मास्टर्स हैं सालों कई कोचिंग संस्थानों और अखबारी कार्यालयों से नाता रहा है। लेखक को ऐतिहासिक और राजनीतिक समझ के साथ अध्यात्म,दर्शन की गहरी समझ है इनके लेखों से जुड़कर पाठकों की रुचियां जागृत होंगी साथ ही हम वादा करते हैं कि लेखों के माध्यम से अद्वितीय अनुभव होगा।

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