ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में भारत के शहर: भविष्य में संभावित संकट की चेतावनी

जुलाई 2024 के महीने में कार्बन ब्रीफ ने "वैश्विक ग्लोबल वार्मिंग" पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमे बताया गया है कि सन 1840 से 2024 के शुरू के 6 महीनों ने जलवायु परिवर्तन के सारे रिकॉर्ड तोड दिए हैं कुल 63 देशों के आंकड़े प्रस्तुत कर रिपोर्ट में बताया गया कि इन देशों में पिछले 13 महीनों में तापमान रिकॉर्ड स्तर पर रहा है और 95 प्रतिशत यह तय है कि 2024 सबसे गरम वर्ष होगा, यह भी संभावना है कि ग्लोबल वार्मिंग का संकट ने पैर पसारना शुरू कर दिया है वह दिन दूर नही जब विरले ही कोई देश इससे ही बच पाए।

Impact of Global Warming on Indian Cities

पूरा विश्व आज 'Global Warming' की समस्या से जूझ रहा है भारत समेत अन्य पड़ोसी देश भी इस समस्या से अछूते नहीं है इसका असर इतना व्यापक हो रहा है कि स्वास्थ्य, कृषि उत्पादकता और सूखे जैसी स्थितियां को जन्म दे रहा, इस ब्लॉग में भारत के उन शहरों का जिक्र करेंगे जो क्लाइमेट परिवर्तन की चपेट में आ चुके हैं और इसका संकट अब दिखने भी लगा है साथ ही इससे निजात पाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं इसके बारे में भी विस्तार से जानेंगे।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है? (What is Global Warming) 'भारत' के शहरों में इसके प्रभाव

Global Warming जलवायु परिवर्तन की एक स्थिति है इस प्रक्रिया में पृथ्वी का तापमान निरंतर बढ़ता रहता है जिसके कारण उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों में बर्फ और ग्लेशियर पिघलते हैं और बाढ़, चक्रवात और तापमान बढ़ने जैसी घटनाएं होती है इसका मुख्य कारण मानवों द्वारा CO2 और मेथेन गैसों का उत्सर्जन है जो वायुमंडल का संतुलन बिगाड़ रही हैं और ताप वृद्धि जैसे हालातों का सामना करना पड़ रहा है।

Effects of global warming on cities in india

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से जलवायु संकट, समुद्र जल का बढ़ा हुआ स्तर, अनियंत्रित मानसून के साथ जैव विविधता पर भी असर हुआ है जिसका परिणाम भारत के शहरों पर देखने को मिल रहा है लगातार गर्म हवाएं(Heat waves) तथा दिन के साथ रातों का गर्म होना गहरा पर्यावरणीय संकट को दर्शाता है जिसका असर रोजमर्रे के जीवन और अर्थव्यवस्था जैसे घटकों पर पड़ रहा है अब बात भारत के उन शहरों की करते हैं जहां ग्लोबल वार्मिंग ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है।

भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) में बढ़ता हुआ समुद्र जल स्तर और बाढ़ से प्रभावित

भारत के समुद्र के किनारे बसे 15 शहरों में सबसे ज्यादा संकट मुंबई पर है बढ़ती हुई गर्मी से सबसे ज्यादा खुले में काम करने वालों लोगों पर है, विकास के लिए पर्यावरण को क्षति पहुंचाई गई पेड़ काटे गए।

Impact of global warming in Mumbai, showing rising sea levels

  • मुंबई में सबसे ज्यादा AC इस्तेमाल होने की वजह से बिजली की ग्रिड पर लोड बढ़ रहा है धरती के गरम होने की प्रक्रिया के Sea Level of Water इतना ज्यादा बढ़ गया है कि आने वाले समय में मुंबई के कुछ हिस्से समुंदर में समा जाएंगे और लगभग इससे 11 मिलियन लोग प्रभावित होंगे।
  • ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अनियमित बारिश इतनी ज्यादा हो जाती है कि वहां के वर्सोवा और दादर जैसे क्षेत्र जलमग्न बने रहते हैं।
  • पर्यावरणविदों का मानना है कि समुंद्र के किनारे अगर कंट्रक्शन कार्यों पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में गेटवे ऑफ इंडिया जैसी इमारते सागर में समाहित हो जाएंगी।
  • साल 2021 में मुंबई का तापमान इतना अधिक हो गया कि कंपनियों को दिन में काम की शिफ्ट बदलकर रात को करनी पड़ी।

राजधानी दिल्ली (Delhi) में बढ़ता प्रदूषण और तापमान

भारत की राजधानी दिल्ली में सर्दियों के समय वायु गुणवत्ता (Air Quality) इतना ज्यादा खराब हो जाता है कि 10 सिगरेट के बराबर का धुआं फेफड़ों में समाता है यही कारण है कि इस महानगर में सांस के मरीजों की संख्या में पिछले कुछ सालों में इजाफा हुआ है।

Effects of global warming in Delhi, showing rising temperatures

  • ठंड में हवा प्रदूषित हो जाती है और गर्मी में हीट वेव्स चलती हैं।
  • ग्लोबल वार्मिंग के साथ यहां का कंक्रीट कंस्ट्रक्शन और कचरे को जलाना भी इस संकट के प्रति उत्तरदायी है।
  • राजधानी दिल्ली में हर साल 50 हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु गर्मी और प्रदूषण की वजह से होती है।

कोलकाता (Kolkata) में भारी बारिश और चक्रवाती तूफान

पूर्वी भारत में बसा यह महानगर भारी बारिश और तूफानो से घिरा रहता है ग्लोबल वार्मिंग के असर से बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात का असर सीधा इस शहर पर पड़ता है 2020 में 'अम्फान' तूफान ने यहां भारी तबाही मचाई थी।

Effects of global warming in Kolkata, such as flooding and extreme rainfall

  • कोलकाता में पिछले 3 दशकों में 4.72 सेल्सियस की तापमान वृद्धि हुई है।
  • शहर बसाने के लिए पिछले दशकों में यहां लगभग एक चौथाई जंगल काटा गया है।
  • मानसून के समय में बारिश नहीं होती है इस वजह से यहां की मिट्टी में नमी नही रहती और इसका सीधा असर कृषि पर पड़ता है।

चेन्नई (Chennai) में भयंकर जल संकट

दक्षिण भारत का सबसे बड़ा शहर चेन्नई पानी की कमी से जूझ रहा है यहां की स्थिति यह हो गई है कि आसपास के क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि में कई सालों से सूखा पड़ा है बारिश ही नही हो रही है। 2019 में "Zero Day" घोषित कर दिया गया था इसका मतलब था कि नदी नाले, पोखर सब सूख गए थे, इस समस्या से निजात अभी मिला नही है और भविष्य में और संकट गहराने की आशंका है।

Drought conditions in Chennai, showing dry land and water scarcity

  • 1980 से लेकर 2020 के बीच चेन्नई के तापमान में 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
  • हीट वेव्स यहां आम बात है 40 डिग्री सेल्सियस का टेंप्रेचर यहां सामान्य माना जाता है।
  • जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र जल स्तर बढ़ता है और इसका असर यह होता है कि इस शहर की तट रेखा खतरे में आ जाती है।
  • गर्मी ज्यादा होने की वजह से यहां हर साल हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं।

बेंगलुरू (Bengaluru) में बेहताशा गर्मी और पानी की समस्या

दक्षिण भारत का यह शहर ग्रीन सिटी के नाम से जाना जाता था लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण बेहद गर्म हवाएं और यहां की झीलों का जलस्तर कम होता जा रहा है और परिणामस्वरूप जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।

Extreme heat in Bangalore

  • शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए यहां पर वनस्पति को नुकसान पहुंचा है।
  • बढ़ती गाडियां और अनियंत्रित प्रदूषण भी यहां जलवायु प्रवर्तन का कारण है।
  • बारिश में अनियमितता और साथ ही नेचुरल वाटर लेबल में कमी होना इस शहर के लिए संकट का विषय है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्पन्न संकटों का समाधान

ग्लोबल का अर्थ ही पूरी पृथ्वी से जुड़ा हुआ है अर्थात पृथ्वी का गर्म होना ही ग्लोबल वार्मिंग है ऐसे में कोई एक देश अकेले इस संकट से परिवर्तन नहीं ला सकता है इसके लिए सबसे पहले अपने अपने क्षेत्रों में कुछ कदम उठाने की जरूरत है।

Solutions to global warming, including renewable energy sources, reforestation, and sustainable practices

  • अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं जो कार्बन डाई आक्साइड को अवशोषित करें।
  • सोलर एनर्जी और जल द्वारा चलने वाले उपकरणों का निर्माण करना होगा।
  • परिवहन व्यवस्था दुरुस्त करनी होगी और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना होगा।
  • AC जैसे उपकरणों से निकलने वाला क्लोरो फ्लोरो कार्बन ओजोन परत को नुकसान कर रहा इनका सब्स्टीट्यूट ढूंढना होगा।
  • बायोडायवर्सिटी और नेचुरल रिसोर्सेस को संरक्षित करना पड़ेगा।
  • कृषि में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना होगा और सबसे जरूरी बात आम लोगों को जागरूक करना होगा कि कितना बड़ा खतरा भविष्य में सामने है।

निष्कर्ष:- 

ग्लोबल वार्मिंग के संकट को झुठलाया नहीं जा सकता है अनेकों जलवायु वैश्विक सम्मेलन होने के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकल पाया है प्रकृति और विज्ञान की इस लड़ाई में प्रकृति कमजोर प्रतीत होती जा रही है जल्द ही इसका निराकरण नहीं किया गया तो संपूर्ण विश्व इसके परिणाम बीमारियां, सूखे, भुखमरी, बाढ़ और गर्मी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ेगा।

भविष्य को पीढ़ियों को सुरक्षित रखने के लिए ग्रीन एनर्जी को अपनाना चाहिए जैसे सोलर एनर्जी व जल संरक्षण तथा नए वनों का निर्माण करना।

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Amit Mishra

By Amit Mishra

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