Neem ke Fayde : आखिर क्यों कहा जाता है नीम के पेड़ को आधा वैद्य

आयुर्वेद में नीम के पेड़ को आधा वैद्य कहा जाता है क्योंकि यह औषधीय गुणों का खजाना है नीम की छाल, तेल और इसके पत्तियों से 100 से अधिक मर्जों का इलाज किया जा सकता है। नीम के पेड़ का प्रत्येक भाग जैसे तना, छाल, फल और जड़ प्राकृतिक चिकित्सकीय औषधि में महत्वपूर्ण उपयोगी भूमिका निभाता है। इसके एंटी एलर्जी, एंटी फंगल, एंटी बैक्टिरियल गुण स्वास्थ्य लाभ में रामबाण की तरह काम करते हैं।

Neem tree with medicinal properties and health benefits.

हमारे देश भारत में एक कहावत है कि जहां नीम का पेड़ स्थित होगा उस भूमि में बीमारी से किसी की मृत्यु नही होगी, पूरे दक्षिण एशिया में इसके वृक्ष बहुतायत यात्रा में पाए जाते हैं इसके औषधीय गुणों की जानकारी पूर्वजों को कई दशकों से थी इसे संस्कृत में "निंब" नाम से जाना जाता है और विज्ञान की भाषा में Azadirachta Indica कहते हैं।

Neem Tree : सौ हकीमों का हकीम

नीम का वृक्ष बेहद कड़वा होते हैं लेकिन इसके चिकित्सीय गुण आपके जीवन में मिठास ला देंगे इसके बारे में कहा जाता है कि "एक नीम और सौ हकीम" बराबर माने जाते हैं आज कल तो नीम से बने प्रोडक्ट काफी प्रचलन में हैं जैसे कि

Neem tree: health and healing properties.

  • Herbal Neem Soap, Shampoo
  • Antiseptic Cream
  • दातून (Desi Toothbrush)
  • Cosmetics Products
  • Neem Teeth Oil
  • नीम के पत्तियों से बनी चाय (Neem Tea)
  • नीम से बने फसलों के लिए Pesticide 
  • इम्युनिटी बूस्टर टैबलेट

इसमें Margosa, Nimbidin और Nimbesterol पदार्थ पाए जाते हैं जो रोगों के विषाणुओं का नाश करते हैं। नीम के रोजाना इस्तेमाल से यह शरीर को डिटॉक्स अर्थात अंदर से साफ करता है और किसी भी प्रकार के त्वचा रोगों से बचाता है। इस पेड़ का उल्लेख आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे चरक, वागभट्ट और सुश्रुत संहिता में भी मिलता है इस पेड़ को ग्रंथों में आजाद पेड़ कहा गया है।

नीम के पेड़ के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में सूत्र

Ayurvedic texts referencing the medicinal properties of the Neem tree.

यह वृक्ष ग्रामीण अंचल के लगभग हर घर में पाया जाता है इसके पत्ते, फल, छाल इत्यादि कई असाध्य बीमारियों में लाभप्रद है इसके पेड़ की शीतल छांव भी शरीर के लिए फायदेमंद है चैत्र माह की नवरात्रि में ऐसा माना जाता था कि लगातार खाली पेट 9 दिनों तक इसकी पत्तियों का सेवन करने से साल भर रोगों से मुक्त रहा जा सकता है और साथ ही शरीर के अवसादों यानी की बॉडी को डिटॉक्स करता है। आयुर्वेद में इसके गुणों का बखान इस श्लोक के माध्यम से मिलता है:-

निम्ब शीतों लघुग्राही कतुर कोअग्नी वातनुत। अध्यः श्रमतुटकास ज्वरारुचिक्रिमी प्रणतु ॥ 

इसका अर्थ होता है कि नीम का पेड़ छाया में शीतल, स्वाद में कड़वा, हृदय के लिए रामबाण, वात पित्त कफ के संतुलन में सहायक और शरीर को ऊर्जावान तथा गर्मी को शांत और ज्वर से मुक्त करता है।

चरक संहिता के नीम का उल्लेख

चरक संहिता में नीम को 'अरिष्ट' और 'निम्ब' कहा गया है जो विषाणु और त्वचा के साथ ज्वर नाशक बताया गया है। चरक संहिता में नीम के बारे में कहा गए सूत्र

"निंबो विषघ्नः शीतलः कषायतिक्तकः।
पित्तकफहरश्चैव कण्डूविषविनाशनः।।"
अर्थात नीम पित्त कफ को संतुलित करने के साथ विषनाशक है।

सुश्रुत संहिता में नीम का वर्णन

आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत जी नीम के बारे में लिखते हैं कि यह खून के शोधन में सहायक है और त्वचा रोगों को नाश करता है।

अर्कनिंब: कटु: तिक्तो रक्तपित्तविनाशन:।

अर्थात नीम का रस स्वाद में कड़वा है यह रक्त और पित्त (Liver) को साफ करता है।

अष्टांग हृदयम में "नीम" का जिक्र

इस ग्रन्थ में नीम को त्वचा रोगों को ठीक करने के लिए बताया गया है।

तिक्तं चारिष्टकं लघु शीतलं विषनाशनं।
कुष्ठव्रणविषकण्डूव्रणनाशनं।

अर्थात नीम का कड़वा स्वाद और इसकी शीतलता कुष्ठ, घाव या खुजली जैसे त्वचा रोगों के लिए नाशवान है।

भावप्रकाश निघण्टु में नीम

इस आयुर्वेदिक किताब में नीम को सभी रोगों के निवारक के रूप में "सर्वरोगनिवारक" कहा गया है।

निंबः पित्तहरो रूक्षो दाहकृत् कफवातनुत्। मेध्यमारोग्यदं सौम्यं विषघ्नं कण्टकप्रभम्।।

अर्थात पित्त, कफ और बात को संतुलित करने के साथ इनसे हुए रोगों को हराने वाला बताया गया है यह शरीर को ध्यान केंद्र में मदद करता है।

नीम के फायदे तथा कई रोगों के लिए उपयोगी

नीम का तेल चर्म रोगों और इसकी दातून मसूड़ों और पत्तियां इम्युनिटी बूस्टर का काम करती हैं आइए बिंदुवार समझते हैं कि किन किन रोगों में यह फायदेमंद साबित हो सकता है।

  • जीव वैज्ञानिकों द्वारा चूहों पर शोध करने पर पता चला कि नीम का रस खून में मौजूद कोलेस्ट्रॉल की अधिकता को संतुलित करता है।
  • कील मुंहासों और घाव एवम दाग धब्बों में नीम के तेल या पत्तियों का लेप करने से आराम मिलता है इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं नीम के पाउडर का लेप बनाकर लगाने से चेहरा चमकदार होता है।
  • अगर आपके बालों में डेंड्रफ जूं या Lice की समस्या है तो किसी भी हर्बल शैंपू में नीम ऑयल मिलाकर लगाने से यह समस्या दूर होती है।
  • NCBI के शोध में पाया गया कि सर्वाइकल, स्तन और पेट के कैंसर में नीम के फल, छाल और पत्तियों का रस नाशक सिद्ध हो सकता है लेकिन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में डॉक्टरी इलाज ज्यादा कारगर होगा।
  • इसके पेड़ में Azadirachtin पाया जाता है जो कि लीवर को हेल्दी बनाने में सहायक है।
  • मलेरिया, अल्सर और कुष्ठ रोग से लड़ने में इसके पत्ते और रस के औषधीय गुण के साथ पाचन शक्ति को मजबूती प्रदान करते हैं।
  • सांस से सम्बन्धित सभी आर्गन जैसे फेफड़े में इन्फेक्शन, दमा या स्वांस में बैक्टीरिया का इन्फेक्शन नीम के एंटी ऑक्सीडेंट गुण इन्हे ठीक करते हैं।
  • ब्लड प्रेसर और डायबिटीज में आम तौर पर इसका इस्तेमाल होता है इसके प्रतिरोधक क्षमता और रोगनाशक गुण शरीर में स्थित आयुर्वेद के तीनों विकारों को संतुलन रखने में सहायक है।

त्वचा रोगों में नीम का तेल, डायबिटीज मे इसके पत्तों का जूस, और इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर सुबह मुलायम खाली पेट 4-5 पत्तियों को चबाकर सेवन करना और इसकी पत्तियों को जलाने से उपजे धुएं से वातावरण की अशुद्धियां दूर होने के साथ ही डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

अन्तिम शब्द:

यह प्राकृतिक औषधि मानव जीवन के लिए किसी वरदान से कम नहीं है सदियों से ही यह हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा था प्रत्येक घरों में इसका पेड़ होता था जो शुद्ध हवा और छांव के साथ अपने गुणकारी लाभों से स्वास्थ्य के सहायता देता था।

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इसे आयुर्वेद में जीवन देने वाला बताया गया है और आधा वैद्य यानी चिकित्सक की संज्ञा दी गई है बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के स्वास्थ्य में इसका अहम योगदान है इसके उपयोग से यौगिक काया के साथ मानसिक काया को भी लाभ मिलता हैं इस ब्लॉग में दी हुई जानकारी से अगर आप संतुष्ट हैं तो कमेंट के माध्यम से हमे अवश्य बताएं।

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