अक्षय कुमार की न्यू रिलीज फिल्म 'Kesari 2' ने एक बार फिर दर्शकों को एक ऐतिहासिक नायक, सर सी. शंकरन नायर से रूबरू कराने की अच्छी कोशिश की है, सर चेट्टूर शंकरन नायर के किरदार में खिलाड़ी कुमार की एक्टिंग की सराहना खूब हो रही है।

फिल्म में नायर साहब के जीवन को उस पहलू को विशेष कर उतारा गया है जिसमें वह जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद ब्रिटिश सरकार से संघर्ष और साहस को दिखाया है, लेकिन उनका जीवन केवल इतने तक सीमित नहीं रहा, आइए जानते हैं उन 5 अनकही बातों के बारे में जिन्हें हर भारतीय को अवश्य जानना चाहिए।
1. जलियांवाला हत्याकांड के विरोध में त्यागपत्र देने वाले पहले भारतीय
1919 में अमृतसर जलियांवाला बाग में जनरल डायर के आदेश पर हुई गोलीबारी ने न केवल भारतीयों की हत्या की बल्कि मानवता को झकझोर कर रख दिया, इसी कृत्य ने पूरे देश में क्रांति की मशाल जला दी। सर नायर ने इसके विरोध में कड़े कदम उठाए।

- जब ब्रिटिश साम्राज्य ने इस अत्याचार को नकारा तब सी शंकरन उस समय के वायसराय की कार्यकारी परिषद में थे, लेकिन उन्होंने तत्काल इस्तीफा दे दिया।
- यह उस समय एक असाधारण कदम के साथ एक साहसिक कदम भी था क्योंकि जहां अधिकांश भारतीयों को ब्रिटिश शासन से अपनी नौकरी का डर था वहीं सर ने न सिर्फ इस्तीफा दिया बल्कि जनरल डायर समेत ब्रिटिश सरकार के कई अधिकारियों को कटघरे में खड़ा किया।
2. 'Gandhi and Anarchy' खूब रही चर्चा में
C. Sankaran Nair ने कभी भी अपनी आवाज़ दबने नहीं दी उन्होंने अंग्रेजी सल्तनत के साथ उस समय की जन जन की आवाज महात्मा गांधी के आंदोलन की भी जमकर आलोचना की, अपनी बातों को संपूर्ण भारत में पहुंचाने के लिए किताब को अपना माध्यम चुना उनके विचारों ने उस समय भारतीयों को प्रेरणा के साथ अंग्रेजी शासन को हिला कर रख दिया।

- इस किताब में नायर ने गांधीजी की नम्रता और अहिंसा की नीति की आलोचना की थी, और उन्हें भारतीय समाज के लिए अनुकूल नहीं माना।
- इस किताब को ब्रिटिश सरकार ने दबाने की कोशिश की, और उन पर मानहानि का मुकदमा भी दायर किया, लेकिन नायर ने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
3. मद्रास हाईकोर्ट के पहले भारतीय जज
ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीयों को उच्च न्यायिक पदों पर नियुक्ति मिलना एक बड़ी बात थी, क्योंकि चाहे कोई परीक्षा हो या भाषाई ज्ञान हो वह सबसे पहली प्रिफरेंस अपने लोगों को देते थे ऐसे में नायर सर का बड़े पद पर होना दर्शाता है कि उनकी काबिलियत के कायल अंग्रेजी गवर्नमेंट भी थी।
- 1908 में मद्रास हाईकोर्ट के पहले भारतीय जज के रूप में उनका चयन हुआ और केरल की तरफ से पहले न्यायाधीश।
- यह एक मील का पत्थर था, क्योंकि यह भारतीयों के लिए एक प्रेरणा थी कि भारतीय भी ब्रिटिश सरकार के न्यायिक व्यवस्था में प्रभावी स्थान पा सकते थे।
4. 1897 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने
नायर का कांग्रेस से जुड़ाव भी बहुत महत्वपूर्ण था।
- 1897 में नायर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला, वह पहले और एकमात्र केरलवासी थे, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
- उनका योगदान कांग्रेस को मजबूत करने और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करने में अहम था।
- उनका नेतृत्व कांग्रेस में भारतीयों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक आंदोलन का रूप लेने में सफल रहा।
5. ब्रिटिश सरकार से 'सर' की उपाधि प्राप्त की
'सर' की उपाधि से लेकर ब्रिटिश सरकार से इस्तीफा देने तक का उनका सफर दिलचस्प था।
- ब्रिटिश सरकार ने उन्हें उनकी सेवाओं के लिए 'सर' की उपाधि दी, इसके बावजूद, जब बात अन्याय की आई, तो उन्होंने बिना डर के अपनी आवाज उठाई और ब्रिटिश नीतियों का विरोध किया।
- इस्तीफा देने के बाद नायर ने साफ तौर पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी।
- क्योंकि उनके लिए देश की स्वतंत्रता और न्याय से बढ़कर कुछ नहीं था।
निष्कर्ष:
सी. शंकरन नायर का जीवन एक प्रेरणा है, जिन्होंने अपने सिद्धांतों के लिए न केवल अपनी नौकरी खोई, बल्कि एक पूरी पीढ़ी को साहस और न्याय का पाठ पढ़ाया, नेहरू और शुभाष चन्द्र बोस ने उन्हीं को रोल मॉडल मानकर अपनी वकालत की पढ़ाई की थी ऐसी कमाल की शख्सियत और योग्यता रखने वाले सर सी शंकरन नायर की ऐसी बहुत सी बातें हैं जिन्हें संक्षेप में लिखना संभव नहीं है, बहरहाल इतिहास के कुछ पन्ने फिल्मों के माध्यम से अवश्य पलटे जा सकते हैं और सीख सकते हैं
“Kesari Chapter 2” फ़िल्म अगर आपने देख ली है तो यह जरूर बताएं कि शंकरन सर की कौन सी बात आपको प्रभावित करती है।